
चुनाव लड़ना, न लड़ना, हारना-जीतना अलग मसला है। पार्टी ने उपयोगिता समझी और मंत्री बना दिया। बस, अब यही उपयोगिता साबित करनी है। महत्वपूर्ण विभाग पाकर ‘कद्दावर’ कहलाए तमाम मंत्रियों के कद अब काम की कसौटी पर हैं। खास बात यह कि उनकी ‘कापी’ पांच बरस बाद नहीं जांची जानी, बल्कि इसी वर्ष होने जा रहे शहरी निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव सहित निरंतर रिपोर्ट कार्ड तैयार होना है।
पहले तो मंत्री बनाए जाने पर विधायकों का कद मापा गया और अब विभागों को कद का पैमाना बना लिया गया है। यह गुणा-भाग राजनीतिक समीक्षकों के लिए तो ठीक है, लेकिन वास्तविकता यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी नेतृत्व ने नेताओं के नाम और कद पर महत्वपूर्ण विभाग देकर काम की कसौटी रख दी है।