
कोरोना संकट ने उत्तराखंड बोर्ड और सरकारी विद्यालयों की मुश्किलें और बढ़ाई हैं। गुणवत्ता के मोर्चे पर अंग्रेजी माध्यम निजी विद्यालयों से मिल रही चुनौती का असर ये है कि सरकारी विद्यालयों से बोर्ड परीक्षार्थियों का मोह भंग हो रहा है।
वर्ष 2022 में 10वीं में 19830 और 12वीं में 10025 परीक्षार्थी घट गए। मेरिट सूची में इस बार भी विद्या मंदिर और निजी विद्यालयों ने सरकारी विद्यालयों को पछाडऩे का क्रम बनाए रखा। संतोषजनक यह है कि वर्ष 2020 के बाद कोरोना के कारण बोर्ड परीक्षा परिणाम के कदम जहां थम गए थे, वहां से दो साल बाद ठीकठाक शुरुआत हुई है। परीक्षाफल ने 12वीं में 2.37 प्रतिशत और 10वीं में 0.56 प्रतिशत की उछाल ली।
बीते वर्ष 2021 में महामारी के आतंक में बगैर परीक्षा के घोषित परिणामों ने लाटरी सरीखी खुशियां इस बार गायब रहीं। एक साल पहले उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षाफल 10वीं कक्षा में 99.09 प्रतिशत और 12वीं में 99.56 प्रतिशत रहा था।
इस वर्ष पुराने पैटर्न पर परीक्षा हुई तो परिणाम ने वर्ष 2018 से लेकर 2022 तक पकड़ी रफ्तार से आगे का रुख किया। 2020 में 10वीं में 76.91 प्रतिशत और 12वीं में 80.26 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहे थे। इस वर्ष परीक्षा परिणाम क्रमश: 10वीं में 77.47 प्रतिशत और 12वीं में 82.63 प्रतिशत रहे हैं।