शरीर के सेहतमंद बनाए रखने में खानपान का रोल सबसे खास होता है। लेकिन लोगों की फूड हैबिट्स और जरूरतों को देखते हुए अब कई सारी चीज़ों को बनाने और उगाने का तरीका बदल चुका है। उनमें तरह-तरह के केमिकल्स मिलाए जा रहे हैं। तो लोगों को दूषित भोजन और पानी के नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 7 जून को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। जुलाई 2017 में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) सम्मेलन के 40वें सत्र में आपनाएं गए विश्व खाद सुरक्षा दिवस के प्रस्ताव पर दिसंबर 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपना समर्थन व्यक्त किया। इसके बाद प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र की दूसरी समिति के समक्ष रखा गया, जिसे महासभा (UNGA) ने अपना लिया और 20 दिसंबर 2018 को प्रत्येक वर्ष 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने की घोषणा की गई। डब्ल्यूएचओ, FAO के साथ संयुक्त रूप से वैश्विक स्तर पर सभी के लिए सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के लिए इस महत्वपूर्ण दिवस में शामिल होने का आह्वान करता है।
असुरक्षित खानपान की चीज़ों के सेवन से सेहत संबंधी कई सारी बीमारियां पनपती हैं। ऐसे में विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने का मकसद हर एक व्यक्ति को पौष्टिक और संतुलित भोजन प्रदान करना है। इसके साथ ही खानपान से होने वाले खतरों को रोकना, मिलावटी चीज़ों का पता लगाना और इनके बारे में लोगों को बताकर उन्हें जागरूक बनाना ही इस दिन को मनाने का खास उद्धेश्य है।
टॉयफाइड की बीमारी दूषित जल और भोजन की वजह से होने वाली बीमारी है। जिससे हर साल सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं। बड़ों के साथ बच्चे भी अच्छी-खासी तादाद में खराब भोजन से होने वाली परेशानियों का शिकार होते हैं और कई बार तो उनकी जान भी चली जाती है।