राज्य सरकार पर बढ़ता कर्ज भी सबसे बड़ा सिरदर्द है। हर साल पूर्व में लिए गए कर्ज की मूल राशि की किस्त के साथ ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है। वित्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक सरकार पर 61 हजार करोड़ से अधिक कर्ज हो चुका था। अनुमान है कि 31 मार्च 2023 तक यह बढ़कर 67 हजार करोड़ के पास पहुंच जाएगा।बजट में राज्य के अवस्थापना विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए किए गए तमाम वित्तीय प्रावधानों के लिए केंद्र से ही पैसा मिलने की उम्मीद की गई है। बकौल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से बजट में किए गए प्रावधान उत्तराखंड का दशक बनाने में मदद करेंगे।भाजपा पर चूंकि अपने चुनाव दृष्टि पत्र के संकल्पों को पूरा करने का दबाव है, इसलिए बजट में उसने जितने प्रावधान किए, उनकी घोषणा वह पहले ही कर चुकी है। वह चाहे अंत्योदय परिवारों को साल में तीन सिलेंडर मुफ्त देना हो, गौ सदनों की धनराशि बढ़ानी हो या समान नागरिक संहिता की कमेटी के लिए बजट की व्यवस्था करना हो।
बढ़ता कर्ज भी सिरदर्द
राज्य सरकार पर बढ़ता कर्ज भी सबसे बड़ा सिरदर्द है। हर साल पूर्व में लिए गए कर्ज की मूल राशि की किस्त के साथ ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है। वित्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक सरकार पर 61 हजार करोड़ से अधिक कर्ज हो चुका था। अनुमान है कि 31 मार्च 2023 तक यह बढ़कर 67 हजार करोड़ के पास पहुंच जाएगा। आय के सीमित संसाधन होने की वजह से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के पास कर्ज लेने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लिहाजा कर्ज बेशक सिरदर्द है, लेकिन इसे सरकार लगातार लेती रहेगी।
हर साल बढ़ता है आकार, पूरा खर्च नहीं हो पाता हर बार
देहरादून। हर बार की तरह इस बार भी राज्य सरकार ने बजट का आकार बढ़ाया है। लेकिन यह भी परंपरा सी बन गई है कि पूरा बजट कोई सरकार खर्च नहीं कर पाती। सरकार ने 65571 करोड़ का प्रावधान किया। पिछले साल के मूल बजट से यह करीब 13 प्रतिशत अधिक है। हालांकि अनुपूरक बजट को शामिल करते हुए पिछले वित्तीय वर्ष में बजट का आकार और अधिक कम हो गया।