
सहारनपुर। सूत्रों के अनुसार, सीनियर पार्षद दल के नेता मंसूर बंदर अपने साथियों के साथ सांसद इमरान मसूद को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। उन्होंने जीआईएस सर्वे को निरस्त कराने की मांग करते हुए इस मुद्दे को संसद में उठाने की अपील की। इस पर सांसद इमरान मसूद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्हें संसद में यह मुद्दा उठाने का कानूनी अधिकार नहीं है। उनका यह बयान जनता को खटक रहा है, क्योंकि नगर निगम अधिनियम 1959 के अनुसार सांसद और विधायक निगम के पदेन सदस्य होते हैं और उन्हें निगम के हितों पर लिखने, पढ़ने और लोकसभा में मुद्दे उठाने का पूरा अधिकार होता है। वहीं, विधायक राजीव गुंबर और आशु मलिक ने आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे, जबकि एमएलसी शाहनवाज खान ने इसे विधान परिषद में उठाने का वादा किया है। सवाल यह उठ रहा है कि जब निगम बोर्ड में सांसद और विधायक पदेन सदस्य होते हुए वोट देने का अधिकार रखते हैं, तो फिर जनता पर टैक्स जैसे गंभीर मुद्दों पर उनकी चुप्पी क्यों है? महापौर डॉ. अजय सिंह ने जनता के हित में सरकार को पत्र लिखा है। साथ ही निगम में शामिल 32 गांवों की उपेक्षा पर भी चिंता जताई जा रही है, जहां जनता आदि मानव जैसा जीवन जीने को मजबूर है। आज तक इन गांवों की अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं कराया जा सका है, न ही विकास प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में इन्हें कोई राहत दी गई। यह स्थिति जनप्रतिनिधियों की भूमिका और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

रिपोर्टर ओमपाल कश्यप