उत्तराखंड

नैनीताल शहर पर दिखने लगा गंभीर संकट,सितंबर में न्यूनतम स्तर पर पहुंचा नैनीझील का जलस्तर

नैनीझील और नैनीताल नगर पर गंभीर संकट नजर आने लगा है। इस सीजन में यहां बारिश और नैनीझील का जलस्तर आज तक के इतिहास में सबसे कम है। यह ज्यादा चिंता का विषय इसलिए भी है कि मुख्यतया बारिश से ही नैनीझील में पानी की आपूर्ति होती है। इस साल मानसून समाप्ति पर है जबकि झील का स्तर इस माह के सामान्य जलस्तर से करीब चार फीट कम करीब 7.6 फीट है। अब इसके अधिक बढ़ने के आसार भी नहीं लग रहे।

नैनीझील का सर्वाधिक जलस्तर 12 फीट होता है। हर वर्ष यह स्तर नहीं पहुंच पाता लेकिन अगस्त-सितंबर में इसके आसपास पहुंच जाता है। बारिश अधिक होने पर इसके निकासी द्वार खोलकर अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दिया जाता है। ब्रिटिश काल में प्रशासन ने प्रतिदिन बारिश और झील के जलस्तर का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। साथ ही हर महीने के लिए एक आदर्श जलस्तर का निर्धारण भी किया था।

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता जेडी सती और अवर अभियंता नीरज तिवारी ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 1990 से प्रतिदिन जल वर्षा और झील के स्तर के आंकड़े कंप्यूटरीकृत किए हैं। झील के कंट्रोल रूम प्रभारी रमेश गैड़ा ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में गत सप्ताह तक झील का जलस्तर 7.6 फीट था।

नैनीताल में इस वर्ष सितंबर प्रथम सप्ताह तक करीब एक हजार मिमी वर्षा हुई है जो कि इस अवधि तक आज तक के इतिहास में सबसे कम है। पूर्व के वर्षों में इस अवधि में इससे डेढ़ गुना से लेकर चार गुना तक की वर्षा भी दर्ज की गई है। इससे पूर्व 2019 में इन दिनों झील का जलस्तर 9 फीट जबकि 17 सितंबर 2012 को 9.1 फीट था। इसी तरह 2016 में 14 सितंबर को 9.85 और 2017 में 9.4 फीट था। ये वे वर्ष हैं जिनमें आज से पहले इन दिनों में जल स्तर न्यूनतम रहा था, जबकि अन्य सभी वर्षों में इस अवधि में जलस्तर लगभग 11 फीट या इससे भी अधिक रहा।

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