
दशहरा पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार के रूप में मनाए जाने वाला त्योहार है। इसी तिथि पर भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार को कई जगहों पर विजयादशमी के नाम से जाना है।
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। दशहरा पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार के रूप में मनाए जाने वाला त्योहार है। इसी तिथि पर भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। दशहरे के त्योहार को कई जगहों पर विजयादशमी के नाम से जाना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा का पर्व एक अबूझ मुहूर्त है यानी इसमें बिना मुहूर्त देखे सभी तरह के शुभ कार्य और खरीदारी की जा सकती है। दशहरे पर्व पर शस्त्र पूजा भी की जाती है।
ज्योतिषि शास्त्र के विद्वानों के अनुसार दशहरा पूजन 5 अक्टूबर, बुधवार को दशमी तिथि विजय मुहूर्त के संयोग में भगवान श्रीराम,वनस्पति और शस्त्र पूजा करनी चाहिए। फिर इसके बाद दशहरे की शाम को रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में विजयादशमी को अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस दिन सभी तरह के शुभ मुहूर्त संपन्न किए जा सकते हैं। इसके अलावा दशहरे पर जमीन-जायदाद की खरीदारी,सोने के आभूषण, कार,मोटर साइकिल और हर तरह की खरीदारी की जा सकती है