उत्तराखंड

मोदी सरकार की Make in India के दिख रहे परिणाम, 

आत्मनिर्भर भारत अभियान (Atmanirbhar Bharat Abhiyaan) और मेक इन इंडिया (Make in India) का सकारात्मक प्रभाव अब रक्षा क्षेत्र में निर्यात (India Defense Export) पर भी दिख रहा है। हम अब केवल अपने लिए आयुध सामग्री और हथियार प्रणालियां ही नहीं बना रहे हैं, बल्कि दूसरे देशों को इनकी बिक्री भी कर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों से शुरू हुई यह यात्रा कदम बढ़ाती हुई अफ्रीका तक जा पहुंची है। आइए जानें कैसा है भारत का रक्षा निर्यात क्षेत्र और किन देशों में हम पांव जमा रहे हैं।

रक्षा निर्यात में भारत के बढ़ते कदमों के पीछे बीते कुछ वर्ष में बनाई गई कई अहम नीतियां हैं। इनमें स्वदेशी कंपनियों से रक्षा सामग्री की खरीद, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी और एचएएल व डिफेंस की अन्य स्वदेशी कंपनियों को प्रोत्साहन के लिए उठाए गए कदम शामिल हैं। उत्तर प्रदेश व तमिलनाडु में दो रक्षा कारिडोर बनाए गए हैं। आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) को अब कंपनियों में परिर्वतित कर दिया गया है।

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में भारत ने 1,387 करोड़ रक्षा संबंधित सामग्री का निर्यात किया। वर्ष 2021-22 में रक्षा निर्यात का आंकड़ा 12,185 करोड़ के पार रहा जो अब तक का सर्वाधिक है। वर्ष 2020-21 की तुलना में इसमें 54.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में देश की गति का अंदाजा इस आंकड़े से लगता है कि पांच वर्ष पहले की तुलना में हम आठ गुना अधिक रक्षा निर्यात कर रहे हैं। वर्ष 2022-21 में 8,934 करोड़, वर्ष 2019-20 में 9,115 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 2,059 करोड़ का रक्षा निर्यात भारत ने किया था। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च की एक करीब पांच वर्ष पुरानी एक रिपोर्ट कहती है कि विश्व की शीर्ष 100 रक्षा कंपनियों में भारत की तीन कंपनियां-एचएएल, ओएफबी और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड थीं। 2015-16 की शीर्ष सौ कंपनियों के रक्षा निर्यात में इन भारतीय कंपनियों की भागीदारी 1.2 प्रतिशत थी।

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