उत्तराखंड

जानें शरीर में क्यों होने लगती है आयोडीन की कमी और क्या हैं इससे निपटने के तरीके?

विश्व आयोडीन की कमी दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है, ताकि लोगों में इस समस्या को लेकर जागरुकता फैलाई जा सके। आयोडीन की कमी कई तरह की गंभीर बीमारियों का कारण बनती है। आयोडीन एक खनिज है, जो मानव शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकी कमी से कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। जिन्हें आमतौर पर आयोडीन की कमी से होने वाले रोग IDD के रूप में जाना जाता है।

थायरॉयड हॉर्मोन के उत्पादन के लिए आयोडीन बेहद ज़रूरी होता है। जब आयोडीन का सेवन कम हो जाता है, तो इससे थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का संश्लेषण करने में असमर्थ हो जाती है। आयोडीन की कमी थायरॉयड से जुड़ी बीमारियों का सबसे आम कारण है। गंभीर होने पर, बच्चों में अपरिवर्तनीय मस्तिष्क क्षति और बौद्धिक हानि हो सकती है। इसकी वजह से मृत जन्म और गर्भपात भी हो सकता है।

मानव शरीर आयोडीन नहीं बनाता और इसलिए इसे हमारी डाइट का ज़रूरी हिस्सा होना चाहिए। साथ ही आयोडीन खाने में प्राकृतिक तौर पर नहीं होता, जैसे कि आयरन, विटामिन और कैल्शियम जैसे दूसरे पोषक तत्व। आयोडीन मिट्टी में मौजूद होता है और मिट्टी में उगाए गए खाद्य पदार्थों के माध्यम से ग्रहण किया जाता है। यह खाद्य उत्पादों में आयोडीन की कम सांद्रता और लोगों में अपर्याप्त आयोडीन सेवन का कारण बनता है। भारत में, हमारी मिट्टी में आयोडीन की कमी है, जिसकी वजह से लोग भी आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों (IDD) से ग्रस्त हैं। पर्वत श्रृंखलाओं और बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों की मिट्टी में आयोडीन की कमी होती है।

आयोडीन की कमी के कारण शरीर का आयोडीन स्तर कम हो जाता है और थायरॉयड ग्रंथि थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाती है। इसकी वजह से आयोडीन की कमी से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। अगर शिशु या फिर छोटे बच्चों को पर्याप्त आयोडीन न मिले, तो इसका असर उनके विकास पर पड़ता है।

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