
सर्दियां आने के साथ, उत्तर भारत के शहरों को हर साल वायु प्रदूषण से निपटने की एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। दिवाली के आसपास यह चुनौती और बड़ी हो जाती है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 323 (बहुत खराब) श्रेणी में है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दिवाली की रात पटाखों को लेकर कई उल्लंघन देखे गए, जबकि पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। लेकिन इसके बाद भी हवा दिल्ली की हवा दूषित हो रखी है।
दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है, ‘प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।
एक स्थानीय का कहना है, ‘पिछले साल की तुलना में इस साल प्रदूषण कम है। पटाखे एक दिन के लिए जलाए जाते हैं लेकिन प्रदूषण पूरे साल बना रहता है।’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिवाली की सुबह एक ट्वीट कर कहा कि एशिया में 10 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली का नाम नहीं है।
केजरीवाल ने ट्वीट में कहा, ‘मेरे आज के ट्वीट के बाद कुछ लोग मुझसे पूछेंगे कि क्या हम प्रदूषण के खिलाफ जंग जीत गए हैं? क्या मैं संतुष्ट हूं? नहीं, बिल्कुल नहीं। ये उत्साहजनक है कि हम दुनिया के सबसे प्रदूषणकारी शहर नहीं रहे। ये हमें प्रोत्साहित करता है कि हम सही रास्ते पर हैं। हालांकि, हम दुनिया के सबसे स्वच्छ शहर बनना चाहते हैं। यही हमारा लक्ष्य है।’
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भले ही दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी साबित हुई हो, लेकिन आर्थिक राजधानी मुंबई भी इससे अछूती नहीं है। मेगासिटी मुंबई में भी प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में जनवरी के बाद से पार्टिकुलेट मैटर की सांद्रता सबसे अधिक है