उत्तराखंड

सुनिह अरज छठी मइया,

सिर पर दउरा और सुपली लेकर घाटों की ओर जाते लोग, पीछे-पीछे ‘सुनिह अरज छठी मइया, बढ़े कुल-परिवार…’ ‘हे छठी मईया हर लीं बलैया हमार…’ ‘कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए…’, ‘रिमिक झिमिक बोलेलीं छठी मइया…’ जैसे गीत गाती महिलाएं, पटाखे जलाते बच्चे, ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच छठी मईया के जयकारे…।

कुछ ऐसा ही नजारा रविवार शाम और सोमवार सुबह को छठ महापर्व पर महानगर के राप्ती नदी के रामघाट, गुरु गोरक्षनाथ घाट, सूर्यकुंड, गोरखनाथ, महेसरा, मानसरोवर, रामगढ़ताल सहित तमाम घाटों पर दिखा। व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी और उदय सूर्य को अर्घ्य दिया और संतान, पति के साथ परिवार के सदस्यों के सुख-समृद्धि की मंगलकामना की।

महानगर में सूर्योपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को हर ओर छठी मइया के गीतों की गूंज रही। चार दिवसीय इस महापर्व के तीसरे दिन दोपहर दो बजे से ही छठ घाटों पर व्रती महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। तमाम महिलाएं बैंड-बाजे के साथ घाटों पर पहुंचीं। कुछ देर पानी में खड़े होने के बाद शुभ मुहूर्त में अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया। राप्ती नदी के गुरु गोरक्षनाथ घाट और रामघाट पर बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचीं। यहां भीड़ इतनी हो गई कि पैदल तक चलना मुश्किल हो गया।

जैसे-जैसे अर्घ्य देने का समय निकट आया घाटों पर छठ माता के जयकारे गूंजने लगे। परिवार के पुरुष सदस्यों और पंडितों ने सूर्य देव को अर्घ्य दिलाया। गोरखनाथ मंदिर में भी छठ व्रत की छटा देखने को मिली बड़ी संख्या में महिलाएं भीम सरोवर पहुंचीं और सूर्य को अर्घ्य देकर संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। महानगर के असुरन चौक, रुस्तमपुर, विष्णु पुरम, बौलिया कॉलोनी, कूड़ाघाट, आवास विकास कॉलोनी, इंजीनियरिंग कॉलेज, बिलंदपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय, बेतियाहाता, मोहद्दीपुर, शाहपुर, सहारा इस्टेट, गीता वाटिका, पादरी बाजार सहित महानगर के कई मुहल्लों और कॉलोनियों के आसपास अस्थायी तालाब बनाए गए हैं जहां व्रती महिलाओं ने विधि-विधान से पूजन-अर्चना की।

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