उत्तराखंड

 नदियों के किनारे प्रतिबंधित क्षेत्र में पुराने निर्माण हटाने के निर्देश, 

उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने प्रदेश की नदियों के प्रतिबंधित क्षेत्र में पुराने निर्माण हटाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे नए निर्माण न हों, इसके लिए प्रत्येक माह ड्रोन आदि से वीडियोग्राफी की जाए ताकि नए निर्माण का पता चल सके। वीडियोग्राफी का डाटा, डाटा सेंटर को भेजा जाए। 

मुख्य सचिव सचिवालय में राज्य स्तरीय गंगा समिति की 14वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने गंगा नदी पर लगे सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का सोशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। इसमें स्थानीय लोगों के सुझाव भी शामिल करने को भी कहा। उन्होंने गंगा के किनारे बसे शहरों में भी सेप्टेज मैनेजमेंट पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कहा कि गंगा में ड्रेनेज का अशोधित जल न जाए यह सुनिश्चित किया जाए। 

उन्होंने नगर निकायों को विभिन्न स्थानों में जमा पुराने कूड़े (लीगेसी वेस्ट) को प्रोसेस कर उसके निपटारे की व्यवस्था भी शीघ्र तय करने के निर्देश दिए। कहा कि सभी जिला विकास समितियां एनजीटी की गाइडलाइन के अनुरूप कार्रवाई करें। बैठक में पीसीसीएफ (हॉफ) विनोद कुमार, अपर सचिव पर्यटन सी. रविशंकर, उदयराज सिंह सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। 

बैठक में बताया गया कि गंगा के किनारे ऋषिकेश में पर्यटन सर्किट के विकास के लिए व्यापक योजना तैयार की गई है। हर की पौड़ी, हरिद्वार में गंगा आरती के लिए ऑडियो वीडियो सुविधा विकसित की जा रही है। ग्रामीणों को अपने घरों को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। पर्यटन वेबसाइट और अन्य लोकप्रिय ओटीए पर प्रचार हो रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ऋषिकेश  के त्रिवेणी घाट और हरिद्वार में चंडी घाट पर गंगा पर एक संग्रहालय स्थापित किया गया है।

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