
पानीपत में 32 पैक्स और करीब 11 सीएस हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सहकारिता विभाग से योजना के तहत खरीद और सामान का पूरा रिकॉर्ड मांग लिया है। इस संबंध में पानीपत व करनाल में पत्र मिलते ही कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक को पसीना आने लगा है।
सहकारिता विभाग में घोटाले के लिए बेखौफ होकर नियमों को मनमर्जी से बनाया और तोड़ा गया। यहां पहले सीएस (क्रेडिट सोसायटी) बंद कर पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समिति) बनाई गई। अधिकारियों ने तब दलील दी कि इसको समायोजित कर विभाग के खर्च को कम किया जा सकता है। पिछले दो साल से पैक्स को तोड़कर वापस सीएस बनानी शुरू की गई।
जानकारों की मानें तो सीएस बनाने में किसी की मंजूरी तक नहीं ली गई। पानीपत में करीब दस और करनाल में करीब सौ सीएस बना दी गई। आरोप हैं कि आईसीडीपी योजना का सामान पहुंचाकर बड़ा घोटाला करने की नीयत से ही मनमानी तरीके से सीएस बनाई गई। अब हरकत में आई एसीबी ने पानीपत और करनाल जिले से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है।
दरअसल, गांवों में किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक गांव या दो गांवों को मिलाकर एक सीएस (क्रेडिट सोसायटी) काम करती थी। यहां पर किसानों को सीजन में पर्याप्त खाद मिल जाता था। सहकारिता विभाग ने वर्ष 2006 में सीएस को तोड़कर तीन या चार गांवों को मिलाकर एक पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समिति) बनाई। उस समय नाबार्ड योजना में पैसा आने की दलील दी गई थी। कुछ गांवों के किसान इसके खिलाफ कोर्ट में भी पहुंच गए थे। कोर्ट के आदेशानुसार कई पैक्स को वापस सीएस में बदल दिया गया था।
विदित हो कि पानीपत में 32 पैक्स और करीब 11 सीएस हैं। जानकारों की मानें तो देहरा, डिकाडला, खोजकीपुर, हथवाला, जोशी, मतलौडा व कवी में पिछले दिनों सीएस बनाई गई। इससे पहले बिहोली, खोतपुरा, चंदौली व बराना में सीएस थी। यही नहीं एआर ने सीएस में अपने स्तर पर भर्ती भी कर दी। पिछले दिनों कई को हटा भी दिया गया। इसके बाद सफेदपोशों को खुश करने और उनके प्रभाव में युवाओं को लगाया गया। इनका मानदेय भी सरकारी खातों से किया जा रहा है। इस खेल में केंद्रीय सहकारिता समिति बैंक के अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।
एसीबी के रिपोर्ट मांगते ही आया पसीना
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सहकारिता विभाग से योजना के तहत खरीद और सामान का पूरा रिकॉर्ड मांग लिया है। इस संबंध में पानीपत व करनाल में पत्र मिलते ही कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक को पसीना आने लगा है। इसके साथ केंद्रीय सहकारिता समिति बैंक के अधिकारियों की भी परेशानी बढ़ गई है।
अधिकारी के अनुसार
सीएस और पैक्स में अधिकारियों ने मनमर्जी से आधा अधूरा और कम गुणवत्ता का सामान पहुंचाया। कई जगह तो सामान पहुंचाया ही नहीं गया, जहां किसानों को पूरा साल खाद नहीं मिला, वहीं अधिकारियों ने वहां खाद के कट्टे रखने के लिए लकड़ी की रैक पहुंचा दिए। यूनियन ने इनके खिलाफ कई बार आवाज उठाई, लेकिन हर बार दबा दी गई। -सुलतान देशवाल, राज्य कार्यकारिणी सदस्य, पैक्स कर्मचारी यूनियन।
एंटी करप्शन ब्यूरो ने सीएस और पैक्स का रिकॉर्ड मांगा है। संबंधित अधिकारियों को इसके निर्देश दिए गए हैं। रिकॉर्ड उपलब्ध होने के बाद आगे की जांच और कार्रवाई की जाएगी। – त्रिलोचन सिंह चट्ठा, एआर, सहकारिता विभाग पानीपत।