उत्तराखंड

फायर सीजन में जलने लगे जंगल…मददगारों की प्रोत्साहन राशि तय नहीं,

प्रदेश में एक नवंबर 2022 से फायर सीजन शुरू हो चुका है। गढ़वाल, कुमाऊं के साथ संरक्षित वन क्षेत्रों में जंगल की आग बड़े पैमाने पर वन संपदा को नुकसान पहुंचा रही है।

उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने के बाद अब तक 107 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल चुका है, लेकिन अभी तक जंगल की आग बुझाने वाले मददगार लोगों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि तय नहीं हो पाई है। वन विभाग की ओर से पहली बार प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, लेकिन मामला अधर में लटका हुआ है।

प्रदेश में एक नवंबर 2022 से फायर सीजन शुरू हो चुका है। गढ़वाल, कुमाऊं के साथ संरक्षित वन क्षेत्रों में जंगल की आग बड़े पैमाने पर वन संपदा को नुकसान पहुंचा रही है। जंगल की आग बुझाने में वन विभाग के इंतजाम हर बार नाकाफी साबित होते हैं। ऐसे में हमेशा की तरह ग्रामीण ही इस काम के लिए आगे आते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने के लिए वन विभाग की ओर से पहली बार इन्हें प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में शुरू की जानी है। इसके तहत गांव स्तर पर बनने वाली समितियों को आग बुझाने की एवज में प्रति समिति 30 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान किया गया है लेकिन इसकी फाइल अभी शासन में फंसी है, जबकि वनाग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button