
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक बयान ने पाकिस्तान की सियासत में खलबली मचा दी। बाइडन ने कहा कि परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक मुल्कों में है। इसके बाद अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों की नए सिरे से समीक्षा शुरू हो गई। खास बात यह है कि बाइडन का यह बयान ऐसे समय आया जब पाकिस्तान और अमेरिका एक दूसरे के करीब आ रहे थे। इसके बाद व्हाइट हाउस ने बाइडन के बयान का बचाव किया। ऐसे में सवाल उठता है कि बाइडन के बयान के बाद व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति के बयान का बचाव क्यों किया। व्हाइट हाउस के इस बयान के क्या मायने हैं। क्या अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव आएगा।
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिका के विदेश विभाग ने सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान का बचाव किया है। व्हाइट हाउस के इस बयान के कोई बड़े कूटनीतिक मायने नहीं हैं। इससे पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में बहुत बदलाव आने वाला नहीं है। प्रो पंत ने कहा कि बाइडन के इस बयान का पाकिस्तान सरकार पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस के इस बयान को इस रूप में लेना चाहिए कि पाकिस्तान में अमेरिका के प्रति उपजे सेंटीमेंट का बचाव करना है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध बिगड़े हुए हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध निचले स्तर पर चले गए थे। हालांकि, बाइडन प्रशासन की विदेश नीति उतनी आक्रामक नहीं है। उन्होंने कहा बाइडन के कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ संबंधों में एक संतुलन बनाने की कोशिश की है, लेकिन मतभेद और विवाद के मुद्दे अभी भी जस के तस हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान के लिए पाकिस्तान के समर्थन और उसकी धरती पर बड़ी संख्या में आतंकवादियों की मौजूदगी के कारण अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पूर्व में मधुर संबंध खराब हो गए थे। अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन के वहां पाए जाने और मारे जाने के बाद से अमेरिका पाकिस्तान से खफा है। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन की निकटता के चलते दोनों देशों के संबंध तल्ख हुए हैं।