
सरकारी दफ्तरों में अधिकारी कर्मचारी सीसीटीवी कैमरों के फोकस में आए बिना रिश्वत लेते हैं। इसके लिए अब विजिलेंस सरकारी दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरों की दिशा को लेकर सर्वे कराएगी। इससे पता चलेगा कि जिस दफ्तर में रिश्वत ली गई है वहां पहले भी इस तरह की गतिविधियां हुई हैं या नहीं। इसे विजिलेंस मुकदमों की विवेचना में भी शामिल करेगी।
साथ ही कई मामलों में यह भी देखा गया है कि जिस दफ्तर में रिश्वत ली जाती है वहां के सीसीटीवी कैमरे कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते हैं। यह बात मंगलवार को विजिलेंस मुख्यालय में विजिल ब्लोअर (भ्रष्टाचार के शिकायतकर्ता) के साथ हुए अधिकारियों के सम्मेलन में सामने आई। इस सम्मेलन में हाल के कुछ दिनों में रिश्वतखोरों को पकड़वाने वालों को सम्मानित भी किया गया।
निदेशक विजिलेंस एडीजी अमित सिन्हा ने अधिकारियों से कहा कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वे के लिए जल्द ही शासन को प्रस्ताव भेजा जाए। सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि इसका सारा डाटा आने के बाद विजिलेंस शासन को रिपोर्ट भेजकर कैमरे लगवाने, उनकी वर्किंग और दिशा सही करवाने की मांग करेगी।
उन्होंने आम लोगों, आरटीआई एक्टिविस्ट या समाज सेवियों से भी अपील की कि वे भी इसकी जानकारी विजिलेंस को दें। इसके अलावा विजिलेंस टीमों को भी इसकी जानकारी जुटाने को कहा गया है। बैठक में एसपी मुख्यालय धीरेंद्र गुंज्याल, एसपी देहरादून सेक्टर रेनू लोहनी, सीओ एसएस सामंत, इंस्पेक्टर मारुत शाह और किरन असवाल सहित कई एक्टिविस्ट और शिकायतकर्ता मौजूद रहे।