सामान्य तौर पर मानसून के चार महीनों को छोड़ कर सालभर में होने वाली सामान्य बारिश के आंकड़ों में आमतौर पर अंतर देखने को मिलता है। लेकिन, इस साल यह अंतर अभी तक कुछ ज्यादा ही दर्ज किया गया है।
पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर दिशा की ओर तेजी से बढ़ने के चलते उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है। बारिश के बदले चक्र के कारण प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में अप्रैल-मई के महीने में भी असामान्य तौर पर बर्फबारी हो रही है। यही कारण है कि केदारनाथ में भी इस साल अप्रैल अंत से अभी तक मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। यहां कई बार बर्फबारी भी हुई है।
यह जानकारी देते हुए मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ब्रिकम सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर मानसून के चार महीनों को छोड़ कर सालभर में होने वाली सामान्य बारिश के आंकड़ों में आमतौर पर अंतर देखने को मिलता है। लेकिन, इस साल यह अंतर अभी तक कुछ ज्यादा ही दर्ज किया गया है। जिसके चलते ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी हो रही है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के 23 साल के इतिहास में इस बार ऐसा पहली बार हुआ जब सर्दियों के मौसम में एक बार भी बर्फबारी नहीं हुई। सामान्य तौर पर सर्दियों के दिनों में प्रदेश में 101.7 फीसदी, मानसून से पहले 158.2, मानसून में 1162.7 और मानसून के बाद 55 फीसदी बारिश होती है। लेकिन इस साल के मार्च-अप्रैल में हुई बारिश का आंकड़ा सामान्य बारिश से 41 फीसदी अधिक है। यानी प्री-मानसून की बारिश में इजाफा दर्ज किया गया। जनवरी में सामान्य तौर पर 6.1 इंच और फरवरी में 8.9 इंच बर्फबारी होती है। लेकिन इस साल यह आंकड़ा शून्य रहा।