उत्तराखंड में ईको टूरिज्म से होने वाली आय का 90 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाएगा। पर्यटन गतिविधियों के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर गठित संस्थाएं और समितियां इस पैसे का उपयोग पर्यटक स्थलों के रखरखाव व अन्य मदों में खर्च कर सकेंगी। यह व्यवस्था पहले वर्ष तक लागू रहेगी, जबकि दूसरे वर्ष से कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार और 80 प्रतिशत स्थानीय समुदाय को जाएगा।
बृहस्पतिवार को धामी कैबिनेट ने ईको टूरिज्म गतिविधियों में रेवेन्यू शेयरिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दी। पारित प्रस्ताव के तहत अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन क्षेत्रों में नए ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस में विभिन्न मदों (प्रवेश शुल्क, साहसिक गतिविधियों, पार्किंग, स्थगन सुविधाओं, कैंपिंग) में लिए जाने वाले शुल्क से होने वाली कमाई का पहले साल में 10 प्रतिशत और आगामी वर्षों में 20 प्रतिशत सरकार के खाते में जमा की जाएगी। शेष धनराशि स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रखरखाव आदि पर खर्च की जाएगी।
इसके अलावा ऐसे ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन, जिनकी आय जब एक समय के बाद पांच करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी तब अतिरिक्त धनराशि राजकीय कोष में जमा की जाएगी। पहले से संचालित ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस के संबंध में 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जाएग, जबकि 80 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रखरखाव आदि पर खर्च के लिए रहेगा।