जीएसटी वादों का निपटारा करने के लिए उत्तराखंड में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा। इससे प्रदेश के व्यापारियों व कंपनियों को टैक्स संबंधित छोटे-छोटे वादों को लेकर न्यायालय में नहीं जाना पड़ेगा। इन वादों का समाधान ट्रिब्यूनल स्तर पर किया जाएगा। इससे व्यापारियों का खर्च और समय भी बचेगा। ट्रिब्यूनल में चार सदस्य होंगे। इसमें दो सदस्य न्यायिक सेवा और दो सदस्य जीएसटी और एसजीएसटी से तकनीकी क्षेत्र के होंगे।
सरकार ने राज्य में माल और सेवा कर अपीलीय अधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में जीएसटी लागू किया। जीएसटी में टैक्स रिटर्न या भुगतान को लेकर राज्य कर विभाग की ओर से व्यापारियों को नोटिस जारी किए जाते हैं। इस पर व्यापारी छोटे-छोटे टैक्स वादों को लेकर न्यायालय चले जाते हैं।
अभी तक विभागीय स्तर पर ऐसे वादों का निपटारा करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जीएसटी परिषद ने सभी राज्यों को वादों का निपटारा करने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन के दिशानिर्देश दिए हैं। इसी क्रम में सरकार ने ट्रिब्यूनल के गठन की अनुमति दे दी है। ट्रिब्यूनल में न्यायिक सेवा के दो रिटायर्ड जज और तकनीकी क्षेत्र से दो अधिकारी सदस्य होंगे।
जीएसटी से पहले लागू वैट प्रणाली में व्यापारियों के टैक्स संबंधित वादों के निपटाने के लिए सरकार ने वन टाइम सेटेंलमेंट योजना की अवधि तीन माह बढ़ाई है। जिसमें बकायेदार व्यापारियों को ब्याज और जुर्माना माफ किया जाएगा। प्रदेश में वर्तमान में बकाया टैक्स के 41 हजार मामले लंबित है।
सरकार ने वैट प्रणाली के लंबित बकाया टैक्स मामलों का निपटारा करने को वन टाइम सेटेंलमेंट योजना को 1 जुलाई से 30 सितंबर 2023 तक बढ़ाया है। निर्धारित अवधि में व्यापारियों को बकाया राशि पर ब्याज और जुर्माने माफ किए जाएंगे।