
शहर का सबसे बड़ा दून अस्पताल डेंगू को कितनी गंभीरता से ले रहा है, इसका पता इस बात से चलता है कि अस्पताल प्रशासन ने दो डेंगू मरीजों की मौत की जानकारी 15 दिन से दबा रखी है। इन मरीजों की एलाइजा जांच में डेंगू की पुष्टि हुई थी और इनकी मौत अगस्त में हो चुकी है, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने अब तक स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा।
अगर अस्पताल प्रबंधन मामले की गंभीरता को समझते हुए उसी समय विभाग को इसकी जानकारी देता तो शायद स्वास्थ्य विभाग पहले ही सतर्क हो जाता और डेंगू से निपटने के लिए और पुख्ता इंतजाम किए गए होते। अब डेंगू महामारी का रूप लेता जा रहा है और विभाग के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक अगस्त में अस्पताल में भर्ती चार मरीजों की मौत हुई थी। इनमें से दो व्यस्क को डेंगू की पुष्टि हुई थी, जबकि दो किशोर डेंगू संदिग्ध थे। चारों मरीजों को डेंगू शॉक सिंड्रोम की भी समस्या थी। अस्पताल में इस समय डेंगू के 128 बेड पर मरीज भर्ती हैं। अन्य मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं है।
केस – 1
45 वर्षीय पुरुष 14 अगस्त को इलाज के लिए आए थे। मरीज को डेंगू शॉक सिंड्रोम, अल्कोहलिक लिवर डिसीज, हेपैटिक एन्सेफैलोपैथी की समस्या थी। इनकी हालत बेहद खराब थी। मरीज को सीपीआर भी दिया गया। चार दिन तक भर्ती रहने के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ। 18 अगस्त को उनकी मौत हो गई।
केस – 2
42 वर्षीय महिला निजी अस्पताल से रेफर होकर 22 अगस्त को दून अस्पताल आई थीं। महिला जब इलाज के लिए आई तो शॉक में थी। इसके अलावा बुखार, शुगर के साथ ही अन्य समस्याएं भी थीं। भर्ती करने के दो घंटे के भीतर ही उसकी भी मौत हो गई।
डेंंगू संदिग्ध किशोरों की मौत दो सप्ताह पहले हुई
अस्पताल में दो सप्ताह पहले डेंगू संदिग्ध किशोरों की मौत भी हुई थी। दोनों किशोर पीआईसीयू में भर्ती थे। इन दोनों को डेंगू शॉक सिंड्रोम हुआ था। इसमें एक किशोर इलाज के लिए आया तो कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई। वहीं, दूसरे किशोर को तीन से चार दिन भर्ती करके इलाज किया गया था।
अस्पताल प्रशासन के निर्देश हैं कि मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को सौंपी जाएगी। इस बारे में पता करते हैं कि रिपोर्ट सौंपने में देरी क्यों हुई है।
डॉ. अनुराग अग्रवाल, एमएस, दून अस्पताल
दून अस्पताल से मरीजों की मौत की कोई रिपोर्ट हमारे पास नहीं आई है। इस बारे में स्वास्थ्य विभाग अस्पताल से जानकारी लेगा।
डॉ. संजय जैन, सीएमओ, देहरादून
विकास नगर में रैपिड जांच ही होती है। मरीजों की एलाइजा जांच नहीं होती है क्योंकि सैंपल देहरादून लाने पड़ेंगे। रैपिड पॉजिटिव के आधार पर ही मरीजों का इलाज किया जाता है।
डॉ. संजय जैन, सीएमओ, देहरादून