
गढ़वाली भाषा में पाठ्यक्रम तैयार करने वाला पौड़ी भले ही प्रदेश में पहला जिला हो, लेकिन सरकार और प्रशासन की उपेक्षा के कारण यह पहल आगे नहीं बढ़ सकी। यह पाठ्यक्रम एक साल भी नहीं पढ़ाया जा सका, कोविड काल में ही बंद हो गया। उसके बाद से आज तक न तो प्रशासन ने और न ही शासन ने बच्चों को मातृभाषा का ज्ञान देने वाली इस योजना को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाया।
वर्ष 2019 में जनपद पौड़ी के तत्कालीन डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने जिले में गढ़वाली भाषा पाठ्यक्रम को मिशन मोड में तैयार करने की पहल की थी। पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए 16 सदस्यीय टीम गठित की गई। इस टीम ने कक्षा एक से पांचवीं तक का पाठ्यक्रम तैयार किया था, ऐसा करने वाला पौड़ी पहला जिला बन गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 29-30 जून 2019 को इस पाठ्यक्रम का लोकार्पण किया था। जुलाई 2019 से पौड़ी ब्लाक के 79 विद्यालयों में गढ़वाली भाषा में शिक्षण कार्य शुरू हुआ था।