उत्तराखंड

डोडीताल में है गणपति की जन्मस्थली; यहां डोडीराजा के रूप में पूजे जाते हैं विघ्नविनाशक

देश के 10 प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक उत्तरकाशी के डोडीताल क्षेत्र में स्थित है। यहां भगवान गणेश की पूजा मां अन्नपूर्णा संग होती है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां गणपति और मां अन्नपूर्णा मंदिर के अंदर विराजमान हैं, जबकि शिव मंदिर के बाहर हैं।

मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा ने इसी स्थान पर गणेश को जन्म दिया था। स्थानीय बोली में भगवान गणेश को यहां डोडीराजा कहा जाता है। जिला मुख्यालय से करीब 22 किमी दूर स्थित डोडीताल समुद्रतल से करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर है। 

यह जगह असी गंगा केलसू क्षेत्र में है।  केलसू को ही स्थानीय लोग शिव का कैलाश बताते हैं। डोडीताल में करीब एक किमी में फैली प्राकृतिक झील है। झील के एक किनारे पर मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है। 

इस मंदिर में भगवान गणेश अपनी मां अन्नपूर्णा के साथ विराजमान हैं। डोडीताल को भगवान गणेश की जन्मस्थली भी कहा जाता है। मां अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी संतोष खंडूड़ी ने बताया, मान्यता है कि डोडीताल ही मां अन्नपूर्णा का स्नानस्थल भी था।

यह जगह असी गंगा केलसू क्षेत्र में है।  केलसू को ही स्थानीय लोग शिव का कैलाश बताते हैं। डोडीताल में करीब एक किमी में फैली प्राकृतिक झील है। झील के एक किनारे पर मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है। 

इस मंदिर में भगवान गणेश अपनी मां अन्नपूर्णा के साथ विराजमान हैं। डोडीताल को भगवान गणेश की जन्मस्थली भी कहा जाता है। मां अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी संतोष खंडूड़ी ने बताया, मान्यता है कि डोडीताल ही मां अन्नपूर्णा का स्नानस्थल भी था।

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