उत्तराखंड

 देहरादून :- ड्रिप से नहीं बढ़ती प्लेटलेट्स, जान का जोखिम अलग से,

बुखार से पीड़ित सांस, दिल और डायबिटीज के मरीजों को खतरा

झोलाछाप मुनाफा कमाने को मरीजों को थोक के भाव लगा रहे ड्रिप

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बड़े पैमाने पर संदिग्ध बुखार की चपेट में आ रहे है। कई लोगोें में डेंगू और वायरल फीवर के संक्रमण की पुष्टि भी हो रही है। दोनों ही संक्रमण के मामलों में मरीजों के खून में प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप मरीजों को प्लेटलेट्स कम होने पर सीधा ड्रिप लगा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना योग्य चिकित्सक के परामर्श के ड्रिप लगाने से मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है।

कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल और क्लीनिक नहीं है। इन क्षेत्रों में झोलाछाप अपनी दुकानें खोल बैठे हैं। झोलाछाप बुखार के मरीजों की सामान्य खून की जांच करवा रहे हैं। अगर प्लेटलेट्स कम है तो ड्रिप लगा रहे। कई मरीजों को शरीर में बिना पानी की कमी के आधे घंटे में ही तीन-तीन ड्रिप लगाई जा रही है।

उप जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विजय सिंह का कहना है कि डेंगू का उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है। केवल बुखार की दवा दी जाती है। अगर उल्टी आदि की शिकायत से डिहाइड्रेशन है या कमजोरी है, तब ही ड्रिप लगाई जाती है। बताया कि मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार से कम होने पर प्लेटलेट्स यूनिट और जंबो पैक लगाए जाते है। उन्होंने बताया कि ड्रिप से प्लेटलेट्स नहीं बढ़ती है।

लगातार ड्रिप लगाने से बिगड़ सकता है स्वास्थ्य

डॉ. विजय सिंह ने बताया कि ड्रिप लगाने के लिए प्रत्येक मिनट के अनुसार उसकी बूंदों की मात्रा निर्धारित की जाती है। किसी मरीज को कौन सी ड्रिप लगनी है, यह भी तय किया जाता है। मसलन डायबिटीज के मरीज को आरएल और डीएनएस का फ्लूड नहीं दिया जाता है, ऐसे मरीजों को एनएस लगाया जाता है।

वहीं सांस और दिल के मरीजों को सुपाइन अवस्था में सीमित मात्रा में फ्लूड दिया जाता है। डॉ . विजय सिंह ने बताया कि डेंगू या वायरल फीवर से ग्रस्त डायबिटीज के मरीज को आरएल या डीएनएस लगाने पर उनकी जान जोखिम में पड़ सकती है। ऐसे ही सांस और दिल के मरीजों को लगातार ड्रिप लगाने से उनको प्लूरल इफ्यूजन (फेफड़ों में पानी भरने) का खतरा हो सकता है। बताया कि एक के बाद एक ड्रिप लगाने से सामान्य मरीज का भी स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। उन्होंने मरीजों को बुखार होने पर सरकारी अस्पताल या किसी योग्य चिकित्सक से उपचार करवाने की सलाह दी है।

इन गांवों में सामने आ रहे डेंगू और वायरल फीवर के मामले

भीमावाला, ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल, कुंजाग्रांट, कुंजा, फतेहपुर, आदूवाला, जुडली, धर्मवाला, प्रतीतपुर, लक्खनवाला, एटनबाग, पृथ्वीपुर, भोजावाला और पश्चिमीवाला में डेंगू और वायरल फीवर के लगातार मामले सामने आ रहे हैं।

इमरजेंसी में आते है उपचार के बाद तबीयत बिड़ने के मामले

डॉ. विजय सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से ड्रग रिएक्शन और उपचार के बाद तबीयत बिगड़ने के कुछ मामले इमरजेंसी में आते हैं। ऐसे मरीजों को पहले से चल रहे उपचार और दवाओं की जानकारी लेकर तत्काल इलाज शुरू किया जाता है। मरीजों को योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेने के लिए कहा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर अभियान भी चलाता है।

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