उत्तराखंड

Uttarakhand News: जंगल की सुरक्षा के साथ आर्थिकी भी संवारते हैं गजराज, सरकार कर रही अब ये तैयारी

पश्चिमोत्तर में हाथियों की अंतिम पनाहगाह माने जाने वाले उत्तराखंड में गजराज का कुनबा खूब फूल-फल रहा है। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही 12 वन प्रभागों में हाथियों की 2026 की संख्या इसकी तस्दीक करती है। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में पहुंचने वाले सैलानियों को हाथियों का दीदार रोमांचित करता है। इससे दोनों रिजर्व को इससे ठीकठाक आय भी होती है।

यही नहीं, दोनों रिजर्व में 23 पालतू हाथी वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के दृष्टिगत सेवाएं भी दे रहे हैं। यद्यपि, लगभग छह हजार वर्ग किमी में फैले हाथियों के बसेरे में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। आवाजाही के गलियारे बाधित होने से जगह-जगह इनका मनुष्य से टकराव हो रहा है।

उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा नदी तक कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही लैंसडौन, हरिद्वार, रामनगर, नरेंद्रनगर, देहरादून, कालसी, कालागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत वन प्रभागों में हाथियों की उपस्थिति है। हाथी संरक्षण की दृष्टि से इस छह हजार वर्ग किमी के क्षेत्र में 5405 वर्ग किमी का दायरा शिवालिक एलीफेंट रिजर्व के अंतर्गत है। 2017 से 2020 तक की अवधि में इनकी संख्या में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

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