उत्तराखंड

अब जीईपी सेल राज्य में होने वाले पर्यावरणीय बदलाव पर रखेगा नजर, स्थितियों का आकलन कर देगा सुझाव

जुलाई में पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (जीईपी इंडेक्स) की शुरुआत की घोषणा हुई थी। यह हवा, भूमि, जंगल और पानी गुणवत्ता के मानकों पर आधारित है। इसको तैयार करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। अब इसी क्रम में आगे का प्रयास शुरू हुआ है।

पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (जीईपी) का मानक तय होने के बाद आगे की कवायद शुरू हुई है। राज्य में विकास समेत अन्य कारकों के चलते पर्यावरण पर नकारात्मक और सकारात्मक बदलाव पर नजर रखने और उसके हिसाब से नीतियों में आवश्यकतानुसार बदलाव का सुझाव देने के लिए जीईपी सेल बनाने की तैयारी है।

इस सेल को लेकर शासन स्तर पर एक बैठक भी हो चुकी है। जुलाई में पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (जीईपी इंडेक्स) की शुरुआत की घोषणा हुई थी। यह हवा, भूमि, जंगल और पानी गुणवत्ता के मानकों पर आधारित है। इसको तैयार करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। अब इसी क्रम में आगे का प्रयास शुरू हुआ है।

राज्य में विकास कार्याें समेत अन्य कारणों के चलते पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक और सकारात्मक बदलाव की निगरानी करने और उसके आधार पर नीतियों में बदलाव समेत अन्य सुझाव देने के लिए जीईपी सेल बनाने की तैयारी है। इस सेल में पीसीबी, सिंचाई विभाग, जल संस्थान, कृषि, उद्यान, वन, यूकास्ट समेत अन्य विभागों के अधिकारियों और विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। यह सेल एक प्रमुख के निर्देशन में काम करेगा। इनके नाम को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है।

दायरा बढ़ाने की भी योजना

अभी पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (जीईपी) में चार श्रेणियां हैं, उसको भी बढ़ाने की योजना है। इसमें आने वाले समय में भूमिगत जल को शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही नदियों के अलावा अन्य जल स्रोत को भी शामिल किया जा सकता है। जीईपी सेल को लेकर एक बैठक शासन स्तर पर हो चुकी है। पीसीबी को इसमें कुछ बदलाव करने का निर्देश दिया गया है।

पर्यावरण उत्पाद सूचकांक बन चुका है, अब पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की निगरानी के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। इसी के तहत जीईपी सेल के गठन का किया जा रहा है। -आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वन

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