सरकार गरीबों के प्रति कितनी गंभीर और सरकारी धन की कैसे बर्बादी होती है दून के काठबंगला क्षेत्र देखा जा सकता है। करोड़ों रुपये खर्च कर यहां गरीबों के लिए आशियाना बनाने का काम शुरू तो हुआ लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। आधे-अधूरे बने आवास आज खंडहर बन गए हैं। इनकी न तो नगर निगम ने सुध ली और न ही सरकार ने। हालांकि, अब नगर निगम की ओर से लोनिवि को इनका एस्टीमेट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
साल 2011 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के तहत रिस्पना नदी के किनारे बसे लोगों के लिए फ्लैट्स बनाने का काम शुरू हुआ। करीब छह करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत हुए। काम यूपी निर्माण निगम को दिया गया। प्रोजेक्ट के तहत 148 फ्लैट्स बनाए जाने थे। लेकिन यूपी निर्माण निगम 80 प्रतिशत पैसा खर्च करने के बाद फ्लैट्स को अधूरा छोड़कर चला गया। कुछ अधूरे फ्लैटों पर लोग कब्जा कर रहे हैं। साथ ही खंडहर में तब्दील यह फ्लैट शराबी, जुआरी और नशेड़ियों के अड्डे बन रहे हैं।
Iअब फिर इन फ्लैटों को पूरा करने की चल रही है कवायदI
अब एक बार फिर गरीबों के आशियाने को बनाने की बात की जा रही है। नगर निगम ने शासन को पत्र लिखकर प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आठ करोड़ रुपये की डिमांड की है। लोक निर्माण विभाग ने प्रोजेक्ट का नौ करोड़ का एस्टीमेट बनाकर नगर निगम को सौंप दिया है। नगर आयुक्त मनुज गोयल ने बताया कि एस्टीमेट को स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जाएगा। स्वीकृति मिलते ही फ्लैटों को बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।