सिलक्यारा की सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए सरकार ने प्लान दर प्लान बना लिए लेकिन छठवें दिन तक भी मजदूर बाहर की आबोहवा में चैन की सांस नहीं ले पाए। ऑपरेशन सिलक्यारा को लेकर अब न केवल परिजन बल्कि कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि इस पूरे मामले में बड़ी लापरवाही बरती गई।
योजना: जेसीबी की मदद से मलबा हटाया जाएगा। सुरंग खुल जाएगी और मजदूर बाहर आ जाएंगे।
क्या हुआ : मलबा हटाते वक्त ऊपर से ताजा मलबा गिरने लगा। कोशिश नाकाम हुई।
नतीजा : यह योजना विफल हो गई। मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका।
योजना: ड्रिल मशीन ऑगर से ड्रिल करने के बाद मलबे के बीच से स्टील के पाइप डाले जाएंगे। इन पाइप के माध्यम से मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा।
क्या हुआ: ड्रिल मशीन केवल दो मीटर तक ही ड्रिल करने में सक्षम थी। बीच में भारी चट्टान आने के बाद मशीन रुक गई। पाइप डालना संभव नहीं हो पाया।
नतीजा: भारी भरकम पाइप टनल के बाहर रखे रह गए। मजदूरों को निकालना संभव नहीं हो पाया।
योजना: अमेरिकन ड्रिल मशीन लगाकर मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा। इसके पुर्जे तीन हरक्यूलिस विमानों से मंगाकर बृहस्पतिवार से मशीन ने काम तो शुरू कर दिया। खबर लिखे जाने तक करीब 70 मीटर बंद टनल में से 12 मीटर तक ड्रिल भी हो चुकी थी।
क्या होगा: खुद मशीन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अभी दो से तीन दिन और लगेंगे। अगर बीच में कोई बड़ी रुकावट न आई।