
उत्तराखंड इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के रिजेक्टेड वाहनों का प्रदेश बनता जा रहा है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, आगरा, सोनीपत, मेरठ आदि शहरों में वाहनों की अधिकतम आयु-सीमा दस वर्ष होने के कारण ट्रांसपोर्टर सस्ते दाम में पुराने वाहन खरीदकर यहां पंजीकृत करा रहे हैं।
मामला एकदम साफ है कि जो गाड़ी प्रदूषण के मानक पर एनसीआर के लिए अनफिट है, वह उत्तराखंड के सभी शहरों में आरटीओ में नया पंजीकरण कराकर फिटनेस का प्रमाण-पत्र लेकर यहां बेधड़क दौड़ रही हैं।
अकेले देहरादून के आरटीओ कार्यालय में ही रोजाना एनसीआर से लाई गई 15 से 20 गाड़ियां पंजीकृत हो रहीं। दिल्ली व एनसीआर में प्रदूषण को लेकर मानक सख्त होने के कारण वहां दस वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है।
यह प्रतिबंध डीजल चालित सभी वाहनों के लिए है, जबकि पेट्रोल वाहनों के लिए केवल उसी शर्त में प्रतिबंध है, जब वह वाहन दिल्ली व एनसीआर में पंजीकृत हो। ऐसे में महंगी कीमत वाली गाड़ियां भी दस वर्ष की जद में आकर दिल्ली व एनसीआर में संचालित नहीं हो पा रही।