
दून में कोरोना के दो मामले आए हैं, पर अभी तक संक्रमित मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग नहीं हो पाई है। क्योंकि कोरोना पीड़ितों की संख्या कम और लैब में उतने सैंपल नहीं पहुंच रहे हैं जितना जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए जरूरत होती है।
दून मेडिकल कॉलेज की लैब में अभी मात्र एक ही सैंपल पहुंचा है। इस एकमात्र सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में कई हजार रुपये का खर्च आएगा। बताया गया कि लैब में कर्मचारियों की भी कमी बनी हुई है। जीनोम सीक्वेंसिंग में विलंब का यह भी एक कारण है।
कोरोना के नए वेरिएंट की पहचान के लिए जिस जीनोम सीक्वेंसिंग की बात बार-बार की जा रही है, वह प्रक्रिया बहुत खर्चीली है। जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आठ, 16, 40 व 80 सैंपल की किट आती है। दून मेडिकल कॉलेज में अभी आठ सैंपल वाली किट का उपयोग किया जा रहा है। यानी एक बार में आठ सैंपल को प्रोसेस किया जाता है।