
विगत दिवस उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा प्रेस वार्ता के दौरान राम मंदिर को लेकर दिए गए बयान पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसौनी ने कहा कि झूठ के पांव नहीं होते और एक न एक दिन सच सबके सामने आ ही जाता है ,उसी की बानगी त्रिवेंद्र रावत की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को मिली ।दसौनी ने रावत की प्रशंसा करते हुए कहा की कम से कम त्रिवेंद्र रावत में बाकी के भाजपाइयों की तरह झूठ बोलने की गंदी आदत नहीं है। दसौनी ने कहा की त्रिवेंद्र रावत ने प्रेस वार्ता के दौरान बहुत ही साफगोई के साथ इस बात को स्वीकार किया की ना ही राम मंदिर के निर्माण में और ना ही राम मंदिर के आंदोलन में मोदी जी की कोई भूमिका रही है, जो की एक बड़ा बयान है। दसोनी ने कहा कि इसे देश की विडंबना ही कहा जा सकता है की राजनीति और धर्म को एक ही समझने की भूल की जा रही है ।
दसौनी ने कहा कि जहां एक ओर धर्म की रक्षा ,उसका संरक्षण उसके प्रहरी के रूप में धर्माचार्य और शंकराचार्य का जिम्मा है वहीं राजनीतिक दल और राजनीति के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का काम प्रदेश और देश का विकास करना है। दसौनी ने कहा कि जनता राजनीतिक दलों को सत्ता में बेरोजगारी और महंगाई को दूर करने के लिए, स्वास्थ्य शिक्षा सड़क और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए चुनती है। परंतु 1980 में पैदा हुई भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा से ही धर्म की राजनीति की है। दसौनी ने कहा की ऐसा इसलिए है कि भारतीय जनता पार्टी अपने अधर्मों, कुकर्मों और कुनीतियों को राम नाम की आड़ में ढकना चाहती है वरना जितने भ्रष्टाचारी बलात्कारी और अपराधी भाजपा में है उतने किसी दल में नहीं।
दसौनी ने कहा कि यदि आज देश के शंकराचार्य तर्कसंगत एवं तथ्यपरक बातें कर रहे हैं तो उनका संज्ञान लिया जाना चाहिए ,यदि वह राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जता रहे हैं तो उनकी बात को अनसुना नहीं किया जाना चाहिए। दसौनी ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य ही है की धर्म के सर्वोच्च स्थान पर बैठे हुए शंकराचार्यों को आज अनर्गल बातें सुनाई जा रही है उनका अपमान हो रहा है ।
दसौनी ने कहा कि यह देश के लिए अत्यधिक चिंतनीय स्थिति है ।दसौनी ने कहा कि मंदिर निर्माण अभी अधूरा है ,ना उसमें गुंबद है ना ध्वज ना पताका और वेदों के अनुसार बिना ध्वज का मंदिर सिर कटी हुई मूर्ति के समान होता है ।
दसौनी ने कहा की पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा ही अपनी साफगोयी के लिए जाने जाते हैं और जिस तरह से उन्होंने राम मंदिर और उसके आंदोलन का श्रेय लेने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष किया है वह बिल्कुल सत्य है। गरिमा ने कहा कि दरअसल सच भी यही है की राम मंदिर का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत हो रहा है और 90 दिनों तक चली सुनवाई में कभी भी बीजेपी या आरएसएस का कोई व्यक्ति पक्षकार नहीं रहा ।राम मंदिर का निर्माण का श्रेय हिंदू समुदाय का पक्ष रख रहे उन वकीलों को जाता है जिन्होंने मजबूत पैरवी की और उन तमाम लोगों को जाता है जिन लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर होने के साक्ष्य और सबूत जुटाने का काम किया। दसौनी ने कहा कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि भगवान के दरबार में भी अब आम और खास जैसा भेदभाव हो रहा है।तीन दिनों तक मंदिर आम लोगों के लिए बंद रहेगा , यहां तक कि अयोध्या की स्थानीय जनता तक राम मंदिर में प्रवेश से वर्जित की जाएगी ।दसौनी ने कहा की भगवान ने तो कभी अपने भक्तों में भेदभाव किया ही नहीं फिर भाजपा आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद कौन होते हैं आम और खास की लकीर खींचने वाले ?दसौनी ने कहा कि आखिर किस नियम के तहत कंगना रनौत खास हो गई और बाकी श्रद्धालु आम?? भारतीय जनता पार्टी को उसका जवाब देना चाहिए। दसोनी ने कहा जब भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं इस बात को स्वीकार रहे हो कि मोदी का इस राम मंदिर की यात्रा में कोई योगदान नहीं रहा तो फिर दूसरों के कहने को कुछ बाकी नहीं रह जाता। शंकराचारयों की बात को तो आरएसएस और भाजपा ने अनदेखा और अनसुना कर दिया लेकिन अपने ही मुख्यमंत्री की बात से कैसे इनकार कर सकेंगे। दसौनी ने कहा वह तो भाजपा आरएसएस का बस नहीं चल रहा वरना चारों पीठ भी अपने ही लोगों को सौंप दिए