उत्तराखंड

शव ले जाने के लिए नहीं मिली सरकारी एंबुलेंस, पांच घंटे बिलखते रहे परिजन और फिर उठाया ऐसा कदम

सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में भर्ती एक महिला की मौत के बाद परिजनों को अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिल सकी। दिनभर परेशान परिजनों ने मजबूरी में निजी एंबुलेंस कर मृतका का शव 150 किमी दूर गांव पहुंचाया। 

पिछले माह आर्थिक तंगी के कारण एक युवती अपने भाई का शव टैक्सी की छत पर बांधकर हल्द्वानी से गंगोलीहाट (पिथौरागढ़) ले गई थी। इस खबर को संज्ञान में लेते हुए सीएम ने जांच का आदेश देने के साथ जरूरतमंद परिवारों के लिए फ्री एंबुलेंस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद शुक्रवार को एक महिला का शव अल्मोड़ा ले जाने के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ा। अंत में निजी खर्च पर एंबुलेंस करके शव ले जाना पड़ा।

दरअसल, सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में भर्ती एक महिला की मौत के बाद परिजनों को अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिल सकी। दिनभर परेशान परिजनों ने मजबूरी में निजी एंबुलेंस कर मृतका का शव 150 किमी दूर गांव पहुंचाया। परिजनों का आरोप है कि उनके मरीज को समुचित रूप से इलाज भी नहीं मिल सका।

परिजनों के अनुसार 23 दिसंबर को अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे भिकियासैंण ब्लाॅक के पैठणा गांव निवासी 45 वर्षीय हेमा देवी पेड़ से गिर गई थी। उपचार के लिए तत्काल परिजन उन्हें उसी रात सुशीला तिवारी अस्पताल लेकर पहुंचे। उस दिन महिला को इमरजेंसी में रखा गया। अगले दिन 24 दिसंबर को मेडिसिन आईसीयू में भर्ती कराया गया। परिजनों का कहना है कि इस दौरान न्यूरो विभाग की ओर से सही ढंग से उपचार नहीं दिया गया। शुक्रवार सुबह 8:30 बजे महिला की मौत हो गई। आर्थिक रूप से कमजोर परिजनों का आरोप है कि एंबुलेंस के लिए उन्होंने अस्पताल प्रशासन से मांग की लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। दोपहर में उन्होंने निजी एंबुलेंस बुक की।

इधर प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि उन्होंने स्वयं महिला को मेडिसिन आईसीयू में भर्ती कराया। महिला की हालत गंभीर थी। अस्पताल में शव को ले जाने के लिए एक एंबुलेंस की व्यवस्था है, लेकिन वह एंबुलेंस भी एक शव को लेकर कांडा भेजी गई है जो कि शनिवार तक लौटेगी। 

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