सौरभ की पत्नी मानसा और दोनों बेटियां जारा और तुवीसा भी कतर में रहकर संघर्ष कर रही थीं। दोनों बच्चियों को सप्ताह में एक दिन अपने पापा से मिलने दिया जाता था।
कैप्टन सौरभ कतर की दोहा जेल में बंद थे तो उनका पूरा परिवार उनकी जिंदगी के लिए प्रार्थना करने के साथ ही संघर्ष भी कर रहा था। जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके माता-पिता अकेले देहरादून में हर घड़ी तड़प रहे थे और बेटे की रिहाई की दुआ कर रहे थे।
सौरभ की पत्नी मानसा और दोनों बेटियां जारा और तुवीसा भी कतर में रहकर संघर्ष कर रही थीं। दोनों बच्चियों को सप्ताह में एक दिन अपने पापा से मिलने दिया जाता था। पिता आरके वशिष्ठ बताते हैं कि उनकी बहू मानसा वहां पर नौकरी करते हुए दोनों बेटियों को पढ़ा रही थीं। केंद्र सरकार के सहयोग से माता-पिता को तीन बार जेल में जाकर अपने बेटे से मिलने और बातचीत करने का मौका भी मिला।
‘प्रधानमंत्री के कारण हुई रिहाई, विदेश मंत्री ने तीन-तीन घंटे का समय दिया’
सौरभ के पिता आरके वशिष्ठ भी सेना में थे। वह वायु सेना में कई बड़े पदों पर कार्यरत रहे। सन् 1990 से वह देहरादून में टर्नर रोड पर अपने मकान में पत्नी के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह सब कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के कारण संभव हो सका। वरना फांसी और उम्र कैद की सजा होने के बाद अपने देश सुरक्षित आना आसान नहीं है। करीब 85 वर्षीय आरके वशिष्ठ ने बताया कि बेटे की रिहाई के लिए उन्होंने कई बार विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। विदेश मंत्री ने उन्हें तीन-तीन घंटे तक का समय दिया और भरोसा दिलाया कि सौरभ हर हाल में वापस आएगा। भारत सरकार ने अपना वादा पूरा किया।
‘सोचा नहीं था, ऐसे अचानक आएगा बेटा’
आरके वशिष्ठ ने बताया कि उनके बेटे को पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो फांसी की सजा 45 दिन पहले उम्रकैद में बदल दी गई थी। अभी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर अपील की गई थी। ऐसे में वह लोग सुप्रीम कोर्ट की प्रकिया पूरे होने का इंतजार कर रहे थे। यह उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से कोई बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन सौरभ अचानक भारत आ जाएगा। इसकी कोई पूर्व सूचना भी नहीं होगी, यह कभी नहीं सोचा था।
कतर के शेख का भी धन्यवाद दिया
कतर में ही रह रहीं सौरभ की पत्नी मानसा को भी इसका पता नहीं लग सका कि उनके पति सौरभ को रिहा कर दिल्ली भेज दिया गया है। पत्नी को यह सूचना मिली तो वह भी हैरत में रह गईं। सौरभ के परिवार ने पीएम मोदी के साथ ही कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का भी धन्यवाद व्यक्त किया।
सीएम का जताएंगे आभार
पिता आरके वशिष्ठ बताते हैं कि उन्हें सीएम धामी से बेटे की रिहाई की मांग को लेकर मिलना था, लेकिन अब धन्यवाद देने के लिए जाएंगे। मंगलवार शाम को बेटा सौरभ आ जाएगा। इसके बाद बेटे के साथ सीएम का आभार व्यक्त करेंगे।
कतर से भेजा था प्रभु राम शोभायात्रा के लिए सहयोग
क्लेमेंटटाउन के समाजसेवी और सौरभ के परिवार के करीबी महेश पांडेय ने बताया कि सौरभ बेहद धार्मिक हैं। कतर से भी उन्होंने प्रभु राम की शोभायात्रा के लिए सहयोग भेजा था। सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में वह लगातार सहयोग करते रहते हैं।