आज प्रेस क्लब में उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन्स संघर्ष समिति ने आज वार्ता की उन्होंने कहा उनकी कुछ प्रमुख मांगे सरकार से है, और निशाना साधते हुए कहा केन्द्र की मोदी सरकार व उत्तराखण्ड सरकार मेहनतकश लोगों के जीवन और आजीविका पर बर्बर हमले कर रही है। और विभिन्न कानूनों, आध्यादेशों और नीतिगत अभियानों के माध्यम से आक्रमक रूप से श्रमिक। विरोधी-किसान विरोधी और जन विरोधी कदम उठा रही है। यह सरकार राजव्यवस्था और सवैधानिक संस्थाओं का साम्प्रदायिकरण कर रही है तथा योन उत्पीड़न के दोषियों के आरोपी अपराधियों को बेशर्मी से बचा रही है, परिणामस्वरूप कानून और व्यवस्था पर से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। विपक्षी 146 सांसदों को निलम्बित कर सरकार के द्वारा हाल ही में चालकों व जन विरोधी काला कानून मोटर वाहन अधिनियम 2023 को संसद में विपक्ष की अनुपस्थिति में पारित किया गया है। जिसके तहत दुर्घटना के पश्चात 7 साल की सजा व 10 लाख रू जुर्माना होगा जिसका सर्वत्र विरोध किया जा रहा है। इस सरकार के द्वारा करोना काल में जब दुनिया में त्राही त्राही मची थी 2020 में आपदा को अवसर में बदलते हुए 44 श्रम कानूनों में से 29 श्रम कानूनों को समाप्त किया गया तथा मालिकों व पूँजीपतियों के हितों में चार श्रम सहिताएं बनायी गयी हैं, जिससे मजदूर वर्ग को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। मोदी सरकार के द्वारा सार्वजनिक सम्पत्तियों को बड़ी ही चालाकी से पूँजीपतियों को कौड़ी के भाव से बेच रही है। हम 16 फरवरी 2024 को होने वाली हड़ताल के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति जी से माँग करेंगे कि इन मजदूर, किसान व जनविरोधी फैसलों को तत्काल वापस लेने हेतु केन्द्र सरकार निर्देशित करें।
रिपोर्टर -लक्ष्मण प्रकाश कैमरामैन -चन्दन कुमार