श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने कहा कि ईदगाह के भीतर हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य मिले है। इसका सर्वे होना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण में शुक्रवार को हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष ने कहा कि उपासना अधिनियम 1991 यहां लागू नहीं होता है। ईदगाह के भीतर हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य मिले है। इसका सर्वे होना चाहिए।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष द्वारा पूजा उपासना अधिनियम 1991 के बारे में कहा, जब लोकसभा द्वारा कानून बना दिया गया। फिर इस विवाद में आगे सुनवाई क्यों हो रही है। हिंदू पक्ष ने बताया कि यह अधिनियम जन्मभूमि पर लागू नहीं होता। हिंदू पक्ष ने यह भी कहा कि जब आरटीआई के तहत मथुरा में पुरातत्व विभाग से जवाब मांगा गया कि कृष्ण मंदिर की स्थिति क्या है तो पुरातत्व के अधिकारियों द्वारा जवाब दिया गया कि अंग्रेजी सरकार में उनके गजट में यह लिखा पाया गया है कि यहां पर पहले केशव कटरा देव मंदिर था। उस मंदिर को तोड़कर के मस्जिद बनाई गई थी।
हिंदू पक्ष ने कहा कि यह सबसे बड़ा सबूत है। साथ ही कहा कि 1968 का समझौता गलत था। उसे खारिज किया जाए। मंदिर की जमीन मंदिर को वापस मिलनी चाहिए। वहीं, जब ज्ञानवापी में सर्वे हो चुका है और सर्वे के दौरान हिंदू मंदिर के साक्ष्य मिले हैं, तो इस प्रकरण में भी विवादित स्थल का सर्वे होना चाहिए। इधर, कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर की याचिका सूट संख्या 07 की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने ऑर्डर 7 रूल 11 पर अपना जवाब प्रस्तुत किया।
41 पेज का जवाब दिया गया। रीना सिंह ने कहा कि शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से सूट संख्या 07 के मुख्य पक्षकार के नाते उनका नोटिस प्राप्त नहीं हुआ था। नोटिस प्राप्त कर उसका जवाब अगली सुनवाई पर दिया जाएगा। एक अन्य वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने भी कोर्ट के समक्ष अपनी दलील रखी।