उत्तराखंडएक्सक्लूसिव न्यूज़

देहरादून :- भाजपा सरकार अपना ही फर्ज न निभा कर लाखों परिवारों के घर, आजीविका खतरे में डाल रही है

इण्डिया गठबंधन इंडिया गठबन्धन और उत्तराखंड की जनता की गंभीर चिंता है कि आम जनता के हकों के
लिए बनाये हुए जनहित कानूनों पर अमल ही नहीं हो रहा है। जनहित कानूनों की धज्जिया उड़ा कर सरकार पहाड़ों में लोगों के दुकानों एवं घरों को हटाना चाहती है, शहरों में गरीबों को बेदखल करने की धमकी दे रही है. वन जमीन पर रह रहे लोगों का उत्पीड़न कर रही है और राजनैतिक
फायदा के लिए नफरत फैला रही है। इससे लाखों लोगों के घर, दूकान, और आजीविका खतरे में हैं। लेकिन साथ साथ कॉरपोरेट घरानों को सरकारी जमीन सस्ते रेट पर देने के लिए सर्विस सेक्टर पालिसी लायी गयी है जो जन विरोधी है। वन अधिकार कानून यूपीए सरकार के समय बना था। 2015 में किया गया अध्ययन के अनुसार उत्तराखंड में इसके अंतर्गत कम से कम 6,91,488 हेक्टेयर वन जमीन पर स्थानीय पहाड़ी गांववासियों का प्रबंधन एवं रक्षा करने का हक है। लाखों लोगों को भी अधिकार पत्र मिलना चाहिए था। लेकिन उल्टा वन जमीन से लगातार मकानों, दुकानों, एवं धर्म स्थलों को बेदखल किया जा रहा है।
शहर की मलिन बस्तियों का पुनर्वास एवं नियमितीकरण के लिए 2016 में कांग्रेस सरकार ने अधिनियम बनाया था । बढ़ा जन आंदोलन के बाद 2018 में सरकार ने पुनर्वास कराने के नाम पर कानून द्वारा बेदखली पर रोक लगायी थी। वह कानून इस साल खतम हो रहा है लेकिन हैरान करने वाली बात है कि जहाँ तक देहरादून शहर की बात है, 2017 और 2022 के बीच में इन कानूनों के अमल पर एक बैठक तक नहीं रखी गई। किसी भी बस्ती का नियमितीकरण या पुनर्वास पर चर्चा तक नहीं की गयी है। नजूल भूमि पर बसे लोगों के लीज का नियमितीकरण के लिए 2021 में पारित हुआ विधेयक पर आज तक डबल इंजन सरकार ने केंद्र से मंजूरी लेने में असमर्थ रही। 3,20,000 से ज्यादा हेक्टेयर नजूल भूमि है पर लाखों लोग रह रहे हैं। इन अन्यायपूर्ण कदमों के साथ भाजपा सरकार अरबों की सब्सिडी के साथ उसी सरकारी जमीन बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सस्ते रेट पर 99 साल की लीज पर देना चाह रही है। वन अधिकार कानून, नजूल भूमि अधिनियम, मलिन बस्ती अधिनियम और अन्य जनहित नीति पर अमल होय सरकार अपना फर्ज निभाएय इसपर इंडिया गठबंधन आने वाला समय में अभियान चलाएगा।

रिपोर्टर :- लक्ष्मण प्रकाश
कैमरामैन :- चन्दन कुमार

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