प्रेस क्लब में कथित ‘राजनीतिक कैदियों के लिए एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाया। जहां राजनीतिक कैदियों की रिहाई मामले में न्याय की मांग की गई। जीएन साईबाबा, पांडु नरोटे और अन्य के पक्ष में आए हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई।
कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रीप्रीजन (सीएएसआर) ने प्रेस क्लब में कथित ‘राजनीतिक कैदियों के लिए एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाया और इनके साथ खड़े होने की मांग की। ‘लाइफ एंड अंडा सेल – पॉलिटिकल प्रिजनर्स एंड रॉन्गफुल इनससरेशन’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट प्रशांत भूषण, प्रो सरोज गिरी, प्रो नंदिता नारायण, देविका मेनन और हेम मिश्रा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हुए।
यह कार्यक्रम सामाजिक कार्यकर्ता हेम मिश्रा की रिहाई के बाद इनके जेल के अनुभवों को साझा करने के लिए आयोजित किया गया। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जीएन साईबाबा, पत्रकार प्रशांत राही, पांडु नरोटे, आदिवासी कार्यकर्ता विजय तिर्की, महेश के साथ हेम मिश्रा को उनपर लगे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
डीयू राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ सरोज गिरी ने कहा, हेम मिश्रा को राजनीति से प्रेरित होकर कैद हुई। हेम मिश्रा ने प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट, आदिवासियों के विस्थापन, जाति आधारित उत्पीड़न और श्रमिकों व किसानों के शोषण के मुद्दों को उठाया, इसलिए इन्हें जेल हुई।
सेंट स्टीफंस कॉलेज डीयू की प्रोफेसर और डीयूटीए की पूर्व अध्यक्ष डॉ नंदिता नारायण ने कहा, जीएन साईबाबा और रोना विल्सन दोनों मनगढ़ंत भीमा कोरेगांव एल्गार परिशा मामले में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े होने के आरोप में जेल में हैं।
हेम मिश्रा ने बताया, इन्हें केवल संदेहवश 10 साल तक जेल में रखा गया। इन्हें 10 साल की सजा के दौरान अधिकतम समय अंडा सेल में रखा गया। प्रशांत भूषण ने कहा, इस देश में कानून का राज बचा ही नहीं है, सरकार चाहे तो किसी को भी झूठा केस बनाकर जेल में बंद करवा सकती है।