उत्तराखंड

इस चुनाव में नोटों की जगह ‘मौत के सामान’ की हुई रिकॉर्ड सप्लाई, नकदी केवल 34 करोड़ ही सीज, 238 करोड़ की…

इस चुनाव में नोटों की जगह ड्रग्स की रिकॉर्ड सप्लाई हुई है। अब तक 238 करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़ी गई है। नकदी केवल 34 करोड़ ही सीज हुई है। दो हजार के नोट बंद होने के बाद चुनाव में ड्रग्स ने कालेधन की जगह ले ली।

इसे चुनाव आयोग की सख्ती का असर ही कहेंगे कि इस बार चुनाव में इस्तेमाल होने वाले कालेधन का रूप ड्रग्स ने ले लिया है। दो हजार रुपये के नोट बंद होने के बाद कैश लाना-ले जाना खतरों से भरा है। यही वजह है कि इस चुनाव में नोटों की जगह ड्रग्स ने ले ली है। ये पहला चुनाव है, जिसमें प्रदेश में ही 238 करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़ी जा चुकी है और नकदी केवल 34 करोड़ ही सीज हुई है।

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता 16 मार्च को लगी थी। चुनाव आयोग की ‘मनी पावर वाच टीम’ ने महज 13 अप्रैल तक ही 4650 करोड़ रुपये की नकदी, शराब, ड्रग्स आदि सीज की, जो 75 साल के संसदीय चुनाव के इतिहास में सबसे ज्यादा था। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के सातों चरणों में 3475 करोड़ रुपये सीज किए गए थे।

गंभीर बात ये है कि कुल जब्त की गई राशि में से करीब आधी ड्रग्स और कोकीन जैसे घातक मादक पदार्थों के रूप में है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार ड्रग्स की जब्ती सबसे ज्यादा है। पिछले पूरे चुनाव के दौरान देशभर में जहां 1239 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई थी। वहीं इस बार केवल तीन चरणों के चुनाव में यूपी में ही 238 करोड़ की ड्रग्स सीज की जा चुकी है।

वहीं कैश की जब्ती पिछले चुनाव के मुकाबले आधी से भी ज्यादा घट गई। पकड़ी गई ड्रग्स में अफीम, चरस, गांजा से लेकर ब्राउन शुगर तक शामिल हैं। इनकी कीमत 50 हजार रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये किलो तक है। सूत्रों के मुताबिक कैश के बजाय ड्रग्स की धरपकड़ में अप्रत्याशित तेजी की मुख्य वजह दो हजार रुपये के नोट हैं, जो बंद कर दिए गए हैं।

उनके मुताबिक पहले चुनाव में इस्तेमाल होने वाले कालेधन को पहुंचाने का जरिया दो हजार के नोट थे। केवल दस गड्डी में ही बीस लाख आसानी से पहुंच जाते थे। पांच सौ के नोटों को लाखों-करोड़ों में ले जाना खतरे से खाली नहीं है।

इस बार आयोग की टीमें डाटा इंटेलीजेंस और तकनीक के आधार पर ज्यादा काम कर रही हैं। ऐसे में ड्रग्स ने कैश की जगह ले ली। एक किलो मादक पदार्थ को किसी भी रूप में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है। गंतव्य में इसके एवज में कैश दे दिया जाता है। आयोग ने ड्रग्स की रिकाॅर्ड जब्ती को गंभीरता से लिया है।

कैश और शराब पर भारी चरस-अफीम

30 मार्च तक पकड़ा गया
17 करोड़ कैश, 23 करोड़ की शराब और 38 करोड़ की ड्रग्स सीज की गई।

15 अप्रैल तक पकड़ा गया
24 करोड़ कैश, 36 करोड़ की शराब और 56 करोड़ की ड्रग्स सीज की गई।

30 अप्रैल तक पकड़ा गया
32 करोड़ कैश, 46 करोड़ की शराब और 218 करोड़ की ड्रग्स सीज की गई।

7 मई तक पकड़ा गया
34 करोड़ कैश, 49 करोड़ की शराब और 238 करोड़ रुपये की ड्रग्स सीज की गई।

दो करोड़ रुपये प्रति किलो है कीमत
मार्च में भगवतीपुर के पिंडरा गांव में एसटीएफ ने म्याऊं-म्याऊं ड्रग की बड़ी खेप पकड़ी थी। इसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपये थी। इसकी कीमत 2 करोड़ रुपये प्रति किलो है। म्याऊं-म्याऊं नाम का ये ड्रग कोकीन या हेरोइन की तरह प्राकृतिक नशीला पदार्थ नहीं है, बल्कि एक सिंथेटिक ड्रग है।

इसका असली नाम मेफेड्रोन है। इसे कुछ खास पौधों के कीड़े मारने के लिए एक सिंथेटिक खाद के तौर पर तैयार किया गया था। बाद में इसे नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा। सीज किए गए मादक पदार्थों में अफीम, चरस, गांजा से लेकर करोड़ों में बिकने वाले ऐसे ड्रग्स भी हैं।

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