उत्तराखंड

समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्न, अलकनंदा तट पर हुआ मंचन

रावल देवता की बन्याथ यात्रा के दौरान हुआ आयोजन
संवाद न्यूज एजेंसी
गौचर। बिजराकोट के रावल देवता की देवरा यात्रा के दौरान मंगलवार को अलकनंदा नदी तट पर समुद्र मंथन का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान देवताओं और दैत्यों के प्रयास से समुद्र मंथन से चौदह रत्न निकालने के दृश्य का मंचन काफी रोचक रहा। इसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। विगत छह माह से विभिन्न गांवों के भ्रमण पर निकली रावल देवता की देवरा यात्रा (बन्याथ) अब अंतिम चरण में है। रावल देवता बिजराकोट, बड़ेत, डांग, इज्जर, भन्वाड़ी आदि गांवों के अराध्य देवता हैं।
मंगलवार को गौचर और सारी के मध्य अलकनंदा नदी तट पर हुए समुद्र मंथन में देवताओं और असुरों ने मिलकर प्रतीकात्मक मंदराचल पर्वत व बासुकी नाग की रस्सी की सहायता से समुद्र को मथा। इसके बाद समुद्र मंथन से निकले रत्नों को देवताओं और असुरों में बांट दिया गया। मंथन से अमृत निकला जिसको लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा भी हुआ। क्षीर सागर में समुद्र मंथन का दृश्य देख लोग भक्ति से भर गए। इस दौरान ढोल नगाड़ों और रावल देवता के जयकारों से अलकनंदा तट गुंजायमान रहा। भक्तों ने रावल देवता का प्रसाद ग्रहण कर खुशहाली की कामना की। इस आयोजन के बाद रावल देवता की यात्रा ने अपने अगले पड़ाव बड़ेत गांव के लिए प्रस्थान किया। इस मौके पर देवरा यात्रा समिति के अध्यक्ष बृजमोहन पंवार, संयोजक सुनील पंवार, कुलदीप सिंह, नरेश बिष्ट, इंदू पंवार, मुकेश रावत, शशि नेगी आदि मौजूद थे।

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