उत्तराखंडएक्सक्लूसिव न्यूज़

अपनों की याद आते ही परिजन बेहोश, किस्मत को कोस रहे हैं; जानिए मारे गए वनकर्मियों के परिवार का हाल

अल्मोड़ा के बिनसर सेंचुरी में बृहस्पतिवार को भीषण वनाग्नि में मारे गए चार कर्मियों के घरों में अब करुण क्रंदन के अलावा और कुछ नहीं है। रोते बिलखते परिजन कभी गश खाकर नीचे गिर जा रहे हैं तो कभी नियति को कोस रहे हैं। 

अल्मोड़ा के बिनसर सेंचुरी में बृहस्पतिवार को भीषण वनाग्नि में मारे गए चार कर्मियों के घरों में अब करुण क्रंदन के अलावा और कुछ नहीं है। रोते बिलखते परिजन कभी गश खाकर नीचे गिर जा रहे हैं तो कभी नियति को कोस रहे हैं। आसपास के ग्रामीण उन्हें सांत्वना देने तो आ रहे हैं लेकिन वह उनका दर्द देखकर अपनी आंखों को भी नम होने से भी नहीं रोक पा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे इन गांवों में एक बोझिल सा सन्नाटा छा गया हो।

वन बीट अधिकारी बिनसर रेंज त्रिलोक सिंह मेहता जिले के उड़लगांव, बाड़ेछीना के रहने वाले थे। उनकी पत्नी प्रेमा मेहरा गृहिणी हैं। उनका एक बेटा और चार बेटियां हैं। एक बेटी का वह विवाह कर चुके हैं जबकि चार बच्चे अभी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। त्रिलोक हंसी खुशी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। बृहस्पतिवार को वह रोज की तरह अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। दोपहर में अचानक वनाग्नि की सूचना मिली तो वह टीम के साथ मौके की ओर रवाना हुए। लेकिन उनके साथ यह दर्दनाक हादसा घटित हो गया।

कलौन निवासी पीआरडी जवान पूरन मेहरा पीआरडी में तैनात थे और इन दिनों उनकी ड्यूटी वन विभाग में लग हुई थी। पूरन की पत्नी माया भी गृहिणी हैं। उनके दो बेटे हैं जिनमें से एक प्राइवेट नौकरी करता है जबकि दूसरा अभी शिक्षा प्राप्त कर रहा है। पूरन भी जैसे तैसे अपने भरे पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। बृहस्पतिवार को हुई घटना में उन्हें भी अपनी जान गंवानी पड़ी। उनके परिवार पर अब दुखों का पहाड़ आ टूटा है।

जाखसौंड़ा निवासी दीवान राम वन विभाग में श्रमिक के पद पर कार्यरत थे। पत्नी प्रेमा घर के कामकाज के अलावा खेतीबाड़ी का काम करती है। इनके तीन बच्चे हैं जो वर्तमान में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दीवान राम पिछले 20 वर्षों से वन विभाग में दैनिक श्रमिक के रूप में काम कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे थे। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अब इस परिवार में कोहराम मचा हुआ है।

सिर्फ 21 साल की उम्र में करन की सांसें थमीं

भेंटुली निवासी करन आर्या के पिता आनंद राम खेती करते हैं। जबकि उनकी पत्नी निर्मला देवी खेतीबाड़ी के काम में उनकी मदद करती है। आनंद राम के दो बेटे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण बड़ा बेटा करन पिछले तीन चार महीने से वन विभाग में श्रमिक की नौकरी कर पिता का हाथ बंटाने और छोटे भाई दीपांशु को अच्छी शिक्षा दिलाने का सपना देख रहा था। लेकिन काल के क्रूर हाथों ने करने को महज 21 साल की उम्र में ही उसे उसके परिवार से छीन लिया। बृहस्पतिवार को हुई इस घटना के बाद से इन चारों गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है।

बिनसर सेंचुरी में हुए हादसे के दौरान मारे गए चारों कर्मियों का स्थानीय घाटों में शुक्रवार को गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। घटना की सूचना मिलने के बाद रोते बिलखते परिजन और ग्रामीण बृहस्पतिवार की रात ही अल्मोड़ा पहुंच गए थे। जहां पोस्टमार्टम की कार्रवाई होने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। शुक्रवार को चारों मृतकों का संस्कार उनके स्थानीय घाटों पर कर दिया गया। वन विभाग के अधिकारियों समेत क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button