उत्तराखंड

तीन दिन से लापता लड़कियों को नहीं खोज पाई पुलिस…फूटा गुस्सा, कोतवाली से लेकर सड़क तक हंगामा

शहर में संवेदनशील इलाके बनभूलपुरा से लापता हुईं दो बेटियों का तीन दिन बाद भी पता नहीं  चला तो लोगों का गुस्सा पुलिस पर फूट पड़ा। आक्रोशित लोगों ने शहर की कोतवाली घेर ली। लोगों ने पांच घंटे प्रदर्शन किया।

शहर में संवेदनशील इलाके बनभूलपुरा से लापता हुईं दो बेटियों का तीन दिन बाद भी पता नहीं  चला तो लोगों का गुस्सा पुलिस पर फूट पड़ा। आक्रोशित लोगों ने शहर की कोतवाली घेर ली। सड़क पर एकत्र सैकड़ों लोग एक ही सवाल पूछ रहे थे कि आखिर पुलिस कर क्या रही है?

एसएसपी को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े लोगों को गुस्सा देख पुलिस भी बैकफुट पर ही रही और उन्हें समझाती रही। पांच घंटे तक चले हंगामे के दौरान भाजयुमो, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, गौ रक्षक दल समेत अन्य संगठनों ने पुलिस बहुउद्देशीय भवन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी पुलिस अधिकारियों से एक के बाद एक सवालों की बौछार कर रहे थे लेकिन अफसरों के पास जवाब नहीं थे। वहीं, एसएसपी के मौके पर नहीं आने से गुस्साए संगठनों ने एसएसपी का पुतला फुंकने का भी प्रयास किया। पांच घंटे तक पुलिस बहुउद्देशीय भवन और कोतवाली में अफरातफरी का माहौल रहा। पांच घंटे बाद पहुंचे एसएसपी के आश्वासन पर प्रदर्शनकारी वापस गए।

मोहल्ले के 16 साल के किशोर पर है आरोपी
तीन दिन पहले बनभूलपुरा थाना क्षेत्र से कक्षा नौ और 11वीं में पढ़ने वाली दो छात्राएं अचानक लापता हो गईं। आरोप है कि मोहल्ले के ही रहने वाले समुदाय विशेष का एक 16 वर्षीय किशोर दोनों को भगाकर ले गया है। इस प्रकरण में शुक्रवार को बनभूलपुरा थाने में लोगों ने हंगामा किया था।

रविवार को चौथे दिन भी जब नाबालिग छात्राओं का कोई सुराग नहीं लगा तो दोपहर 12 बजे भाजयुमो के जिलाध्यक्ष कार्तिक हर्बोला, भाजपा ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष नन्हें कश्यप, भाजपा किसान मोर्चा के कमल मुनि, शिवसेना के रूपेंद्र नागर, गौ रक्षक दल के जोगेंद्र सिंह राणा और बजरंग दल के पदाधिकारी एसएसपी पीएन मीणा से मिलने पुलिस बहुउद्देशीय भवन पहुंच गए।

एसएसपी के नहीं मिलने पर लोग उन्हें बुलाने की मांग पर अड़ गए। एसपी सिटी प्रकाश चंद्र, सीओ नितिन लोहनी समेत तमाम पुलिस अधिकारी उन्हें मनाने की कोशिश करते रहे। अधिकारियों ने बताया कि एसएसपी तुरंत नहीं आ सकते। इससे गुस्साए लोगों ने मौके पर पुलिस और एसएसपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही चेतावनी दी कि दोपहर साढ़े तीन बजे तक एसएसपी नहीं आते तो वह उनका पुतला फूंकेंगे। शाम पांच बजे एसएसपी मौके पर पहुंचे। उन्होंने जल्द ही दोनों नाबालिग छात्राओं की बरामदगी का आश्वासन दिया। जांच कर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद लोगों ने धरना समाप्त किया।

पांच घंटे में विफल हुई पांच बार की वार्ता
एसएसपी वीवीआईपी ड्यूटी पर थे और उनका तुरंत आना संभव नहीं था। संगठन के लोग एसएसपी से आश्वासन चाहते थे। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से पांच बार वार्ता की। पहले कोतवाल, फिर बनभूलपुरा थानाध्यक्ष, सीओ नितिन लोहनी और एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने पांच बार कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारियों को मना नहीं सके।

नैनीताल रोड आधा घंटा जाम
एसएसपी का पुतला लेकर संगठन और भाजपा के लोग नैनीताल रोड पर पहुंच गए। इससे हाईवे पर जाम लग गया। पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के सड़क पर आने से जाम और लंबा हो गया। दोनों ओर वाहनों की लंबी लाइन लग गई। इस कारण नैनीताल रोड पर दोनों ओर करीब एक किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इस दौरान आधा घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही।

पुलिस और संगठन के लोगों में धक्का-मुक्की
एसएसपी का पुतला जलाने को लेकर पुलिस और संगठन के लोगों में जमकर धक्कामुक्की हुई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की सीओ, एसओ बनभूलपुरा, कोतवाल से तकरार हो गई। किसी तरह पुलिस ने पुतला खींचकर अपने वाहन में रखा। इस दौरान सीओ सिटी की नेम प्लेट गिरने के साथ उनकी पैंट भी फट गई।

बहुउद्देशीय भवन में पड़ी हनुमान चालीसा
संगठन के लोग एसएसपी को बुलाने की मांग कर रहे थे। एसएसपी के नहीं आने पर संगठन के लोगों ने पुलिस बहुउद्देशीय भवन के सामने ही हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया। इस कारण पुलिस असहज नजर आई। इस दौरान सीओ सिटी नितिन लोहनी ने प्रदर्शनकारियों की एसएसपी से बात भी कराई लेकिन वे नहीं माने। उन्होंने साफ कहा कि जब तक एसएसपी मौके पर आकर आश्वासन नहीं देते हैं, तब तक वह मौके पर बैठे रहेंगे।

प्रदर्शन में भी गुटबाजी, समय बढ़ा तो घटती गई संख्या
प्रर्दशनकारियों में कई संगठन और राजनीतिक दल के लोग थे। इस बीच कुछ प्रभावशाली लोगों को पुलिस ने वार्ता के लिए अलग से बुला लिया जिससे प्रदर्शनकारियों में गुटबाजी हो गई। प्रदर्शनकारी अपने लोगों पर ही आरोप लगाने लगे कि वह अधिकारियों के बीच अपने पैठ बनाना चाहते हैं। समय बढ़ने के साथ प्रदर्शनकारियों की संख्या भी घटती चली गई।

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