युवक अपनी परेशानी लेकर अमर उजाला कार्यालय पहुंचा था। अमर उजाला ने युवक की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसे पढ़कर युवक की मां उससे मिलने पहुंची।
करीब 16 सालों से अपनों से अलग होकर गलत नाम लेकर घूम रहे राजू को अमर उजाला के प्रयास से पुरानी पहचान मिल गई है। अमर उजाला के माई सिटी में प्रकाशित खबर पढ़कर युवक की मां पुलिस तक पहुंच गईं। पुलिस जब युवक को उनके सामने लाई तो महिला उसे गले लगाकर फफक पड़ी।
कई तस्वीरों और कहानियों से जब युवक का मिलान हुआ तो पुलिस ने उसे महिला को सौंप दिया। पता चला कि युवक का नाम राजू नहीं, बल्कि मोनू शर्मा है। शर्मा परिवार ने अपना लाल के लौटने पर अमर उजाला और पुलिस का धन्यवाद दिया। दरअसल, रविवार को एक युवक अमर उजाला कार्यालय पहुंचा था। उसके हाथ में एक ट्रक डाइवर की लिखी चिट्ठी और पुलिस की गश्ती तलाश का कागज था।
युवक ने बताया कि वह करीब 19 साल पहले देहरादून से गायब हो गया था। हालांकि युवक की मां ने बताया कि वह 16 साल पहले गया था। युवक का कहना था कि उसे कुछ लोग उठाकर ले गए थे। वहां इन लोगों ने उससे भेड़-बकरी चरवाने का काम किया। युवक ने यह भी बताया कि इन लोगों ने उसके हाथ पर राजू नाम गुदवाया था। यही नहीं उसे खाने के लिए एक ही रोटी प्रतिदिन दी जाती थी।
वह वहां से निकलने का प्रयास कर रहा था, लेकिन सालों तक उसे मौका नहीं मिला। वे लोग अक्सर उससे मारपीट करते थे, जिससे उसके जबड़े की हड्डी भी टूट गई थी। बीते दिनों वहां एक ट्रक चालक बकरी लेने गया। तभी युवक ने अपनी कहानी उसे बताई। चालक ने उसे ट्रक में छिपाया और हाथ में एक चिट्ठी देकर दिल्ली से देहरादून की ट्रेन में बैठा दिया। चिट्ठी में ट्रक चालक ने सारी बातें लिखकर और मीडिया तक पहुंचने का रास्ता बताया था। यही बातें उसने यहां पुलिस को भी बताई।
इंस्पेक्टर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रदीप पंत ने उसके रुकने की व्यवस्था घंटाघर के पास एक रैन बसेरे में कराई थी। युवक की इस कहानी पर अमर उजाला ने ‘छल से मिला नाम लेकर राजधानी में अपनी पहचान खोज रहा राजू’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर को ब्राह्मणवाला पटेलनगर के रहने वाले कपिल देव शर्मा के परिवार ने भी पढ़ा। उन्हें समझते देर न लगी कि वह उनका बेटा हो सकता है। कपिल देव शर्मा की पत्नी आशा शर्मा बेटे की तलाश में पहले रैन बसेरा गईं और फिर वहां से एएचटीयू का पता मिला।
यहां उन्होंने कुछ पुरानी तस्वीरें दिखाईं और उस वक्त की कहानियों को पुलिस को सुनाया। उन्होंने पुलिस को बताया कि युवक का नाम मोनू शर्मा है। वह वर्ष 2008 में एक दिन अचानक लापता हो गया था। इसके बाद उसकी कई राज्यों में तलाश की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। सारी बातों की तस्दीक करने के बाद पुलिस ने मोनू को उसकी मां को सौंप दिया। अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगाकर महिला भावुक हो गई।
एक बहन है, मौसी की बेटियों को समझता था सगी बहनें
कपिल देव शर्मा किराना सामान की पैकिंग का काम करते हैं। युवक ने बताया था कि उसकी चार बहनें हैं, लेकिन मोनू की मां ने बताया कि उसकी सगी बहन एक ही है। उस वक्त उनकी बहन की बेटियां यहां रहती थीं, इसी कारण सभी को मिलाकर वह चार बहनें बता रहा था। मोनू शर्मा की मां आशा शर्मा ने अमर उजाला का आभार व्यक्त किया है।
मोनू को कैद की जिंदगी से निकालने वाला गुमनाम
मोनू को कैद की जिंदगी से निकालने वाला ट्रक चालक अगर हिम्मत न करता तो ब्राह्मणवाला के शर्मा परिवार की खुशियां वापस न होतीं। ट्रक चालक ने सारी कहानी पर्चे पर लिख दी, लेकिन अपना नाम नहीं लिखा। ऐसे में इस गुमनाम ट्रक चालक का भी परिवार ने आभार व्यक्त किया। मोनू शर्मा अपने परिवार का नाम, पता, सब भूल चुका था। ऐसे में इस ट्रक चालक की चिट्ठी ने ही उसकी अंधेरी राह में रोशनी दिखाने का काम किया।