
कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसोनी जी का ग्रीष्मकालीन सत्र को लेकर कहना है की जिस तरह से सत्र के तीन दिन बहुत कम रखे गए हैं अमूमन सत्र चलना चाहिए आठ से दस दिन क्योंकि सत्तर विधानसभाओं के जनप्रतिनिधियों की बातें आनी है उनके क्षेत्र की समस्याएं है क्षेत्र वासियों की जो समस्याएं हैं वो रखी जानी है पटल पर और और जो प्रादेशिक मुद्दे
हैं जैसे कानून व्यवस्था का पूरी तरह से ध्वस्त होना सड़कें जिस तरह से गड्ढा युक्त हो रखी है आपदा और बरसात के मौसम में जिस तरह का मंजर प्रदेश का हो रखा है उसके अलावा भर्ती घोटालों से जो युवा परेशान है बेरोजगारी है महंगाई है
जो वनाग्नि लगी और जो चारधाम यात्रा के दौरान अव्यवस्थाएं भी इन सारी बातों पर जवाबदेही सुनिश्चित होने हैं चर्चा होगी सदन के अंदर विधायक सवाल पूछेंगे तभी तो मंत्रीगण जवाब देंगे अपने विभागों के अनुसार लेकिन यहां जवाब लेने में इंटरेस्टेड कॉर्नर उद्यान घोटाला जिसमें सीबीआई ने इतना बड़ा खुलासा किया
ने धाम में जिसमें आरटीआई के दस्तावेजों से बड़े खुलासे हुए हैं ऐसे ही हर विभाग में कुछ न कुछ भ्रष्टाचार चल ही रहा है उन सब पर जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित होनी है और संविधान में भी कहा गया है कि एक साल में मिनिमम सात दिन का सत्र होना चाहिए उत्तराखंड का औसत बारह से लेकर अट्ठारह दिन का है
रिपोर्टर :लक्ष्मण प्रकाश