
दाऊद इब्राहिम के बारे में कौन नहीं जानता होगा। मुंबई में 1993 को हुए बम धमाके के लिए उसे मुख्य आरोपी माना गया था और भारत में मोस्ट वांटिड आतंकियों की सूची में उसे रखा गया है। दाऊद को आतंकियों के सिंडीकेट डी कंपनी को चलाना वाला माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं गुजरात में भी एक ऐसा गैंगस्टर था जिसे वहां का दाऊद इब्राहिम कहा जाता था। यह कहानी है अब्दुल लतीफ की जो बचपन में ही अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। लेकिन आखिर ऐसा क्या था कि उसे दाऊद के नाम से जाना जाता था।
अब्दुल लतीफ गुजरात के एक गरीब परिवार में साल 1951 में जन्मा था और दरियापुर इलाके में रहता था। दरियापुर एक मुस्लिम बहुल इलाका था और अब्दुल के पिता यहीं तंबाकू बेचने का काम करते थे। गरीब होने के चलते अब्दुल की पढ़ाई 12वीं के बाद ही छूट गई और वह पिता के साथ काम करने लगा। लेकिन पैसों की कमी देख अब्दुल धीरे-धीरे गलत काम करने लगा। वह ज्यादा पैसे कमाने के लिए एक छोटे अपराधी अल्ला रक्खा के साथ मिलकर अवैध शराब बेचने में लग गया।
अब्दुल गरीब खानदान से तो था लेकिन वह जल्द अमीर बनने की चाह रखता था। इसी के चलते वह अवैध शराब के धंधे में घुसा। गुजरात में उस समय भी शराब बैन थी, इसी के चलते कई अपराधी उस दौरान अवैध शराब बेचकर ज्यादा पैसा कमाने में जुट गए थे। अब्दुल पहले अल्ला रक्खा के साथ काम करता था लेकिन धीरे-धीरे उसे पूरा खेल समझ आ गया था। उसे अवैध शराब के बेचने का पूरा काम आ गया था और फिर क्या था उसने खुद ही बड़े स्तर पर इसे शुरू कर दिया। इसके बाद लालच ने उसे हथियारों के अवैध कारोबार में डाल दिया और इस कारोबार के माफिया कोरोबारी शरीफ खान के साथ वह अपराध की दुनिया में आगे बढ़ गया।

अब्दुल लतीफ ने राजनीति में भी कदम रखा था। लतीफ को गलत कार्यों के लिए पासा एक्ट के तहत जेल की सजा हुई थी। इसी बीच लतीफ ने जेल से ही चुनाव लड़ने का मन बनाया और 1986-87 में होने वाले गुजरात के नगरपालिका चुनावों में पांच सीटों से चुनाव लड़ा। लतीफ का अपने इलाकों में ऐसा दबदबा था कि उसने सभी पांच सीटों (कालूपुर, दरियापुर, शाहपुर, जमालपुर और राखांड) से चुनाव भी जीत लिया। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट से जमानत भी ले ली।