उत्तराखंड

इनाया और बिलाल के शवों से लिपटकर बुरी तरह रोई सात माह की गर्भवती मां, बोली- तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगी

अपने कलेजे के टुकड़े बिलाल और इनाया के शव पर जब रुख्सार ने विलाप किया तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। गांव में हर ओर चीत्कार और मातम का मंजर था। 

बहसूमा थाना क्षेत्र के मोड खुर्द गांव में मकान की छत मसरूफ के परिवार पर गमों का पहाड़ बनकर गिरी। परिवार के साथ उनकी खुशियां भी मलबे में दब गईं। बिलाल और बेटी इनाया का शव देख सात माह की गर्भवती रुख्सार बेसुध हो गई। उनसे लिपटकर रोते हुए वह अपने घाव भूल गई। परिजनों और ग्रामीणों ने किसी तरह उसे अस्पताल जाने के लिए राजी किया।

बृहस्पतिवार दोपहर करीब 3:30 बजे मकान की छत गिरी तो चीत्कार मच गई। परिजनों और ग्रामीणों ने मलबे के नीचे दबे बिलाल, इनाया, जुनैद और उनकी मां को निकाला। इनाया और बिलाल की सांस तब तक थम चुकी थी। जुनैद को मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया। रुख्सार को ऊपरी चोट ज्यादा दिखाई नहीं दे रही थी। फिर भी सात माह की गर्भवती होने के कारण एहतियात के लिए उसे अस्पताल ले जाने लगे तो वह इनाया और बिलाल के शव से लिपटकर दहाड़े मारकर रोने लगी। वह बार-बार कहती कि इनाया मेरे कलेजे का टुकड़ा थी, उसने अभी कुछ भी नहीं देखा था।

इसके बाद बिलाल के शव से लिपट कर बोली कि मैं तेरे बिना कैसे रह पाऊंगी। तेरे लिए तो मेरे बड़े-बड़े सपने थे। सभी सपने टूट गए अब मैं जी कर क्या करूंगी। रोते-रोते वह बेसुध हो गई। परिवार की महिलाओं ने किसी तरह उसे संभाला। उसने अस्पताल जाने से साफ इन्कार कर दिया। बाद में पति मसरूफ व परिवार के लोगों ने किसी तरह उसे समझा कर चिकित्सक के यहां भर्ती कराया। हादसे में मसरूफ का घरेलू सामान भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।

बारिश झेल नहीं पाए सीमेंट के पिलर और सिल्ली
मसरूफ के तीन बच्चों में सबसे बड़ा जुनैद गांव के ही स्कूल में कक्षा-2 में पढ़ता है। बिलाल नर्सरी में पढ़ता था। इनाया अभी छोटी थी। मसरूफ के मकान की छत पर पत्थर की सिल्लियां सीमेंट के पिलरों पर डाली हुई थीं। सिल्लियों के ऊपर मिट्टी थी। दो दिन से लगातार हो रही बारिश सीमेंट के पिलर और सिल्ली नहीं झेल सकी। हादसे की जानकारी एसडीएम को ग्राम प्रधान इंतजार देशवाल ने दी। प्रधान इंतजार ने एसडीएम से मृतक बच्चों के परिजनों के लिए आर्थिक मुआवजे की मांग की।

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