देखिए वर्तमान समय में हमारे कैबिनेट मंत्री माननीय धन सिंह रावत जी का प्रकरण है
आज उन्होंने एक नई परिपाटी प्रदेश के अंदर बनाई है
जब भी किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगते हैं वह चित हो जाते हैं उसके बाद विभाग का नैतिक कर्तव्य है दायित्व है कि उस अधिकारी के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा में उन्हें सजा दें कार्रवाई कर सजा दे परन्तु यहाँ पर जो तत्कालीन
जो माध्यमिक शिक्षा निदेशक थे महावीर सिंह बिष्ट जी उन पर कई बिंदुओं पर कई जांचों में उन पर आरोप सिद्ध हुए उसके बाद उनका बचाव करते हुए शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारी और विभाग के मंत्री श्री धनसिंह रावत जी के द्वारा जिस प्रकार से उन्हें कहा गया कि आप को चेता
नहीं देते हुए छोड़ दिया जाता है और जबकि उन्हें पता था कि जो महावीर बिष्ट ने जो हमने लगाई थी उसमें जो अपना जवाब दाखिल किया था उसमें साफ तौर पर उनके द्वारा लिखा गया है कि मैं ही ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जिसके द्वारा ऐसा भ्रष्टाचार किया गया है इससे पूर्व भी हमारे कई अधिकारी है जिनका उन्होंने नाम का भी जिक्र किया उन्होंने भी इस प्रकार का तय किया था उन्हें
ने भी किया था यह ऐसा उन्होंने भी किया था इसलिए मैंने भी किया है तो में जानबूझकर किसी अधिकारी के द्वारा अगर इस प्रकार का कृत्य किया है तो यह विभाग का और विभाग के मंत्री का नैतिक कर्तव्य था कुछ डूबा उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी परंतु हमारे भाग्य मंत्री ने बड़े ही सरल उसमें उनको चेतावनी देते हुए छोड़ दिया
क्या है तो कहीं न कहीं यह बड़ा दुर्भाग्य है कि इस प्रकार की परिपाटी अगर प्रदेश के अंदर बनेगी तो आने वाले जो अधिकारी होंगे उनके अंदर वो डर और भय का माहौल समाप्त हो जाएगा
खुले तौर पर भ्रष्टाचार करेंगे और मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी इसका संज्ञान लेते हुए कहें कि हमारे प्रदेश के अंदर अगर आपकी कैबिनेट इस प्रकार के मंत्री हैं तो उनसे जरूर जब आप लिया जाए कि किस नियम के तहत किस नियम के तहत आपने चेतावनी देते हुए उस भ्रष्ट अधिकारी को छोड़ा दिया
रिपोर्टर :लक्ष्मण प्रकाश