उत्तराखंड

 सुहागिनों को आज पूजा के लिए मिलेगा एक घंटा 16 मिनट, इस समय होगा चांद का दीदार

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर आज करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा। महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी। इसे लेकर महिलाओं ने शृंगार के साथ ही व्रत से जुड़ी सामग्री की खूब खरीदारी की।

आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि करवाचौथ का पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। करवाचौथ व्रत की शुरुआत हमेशा सरगी खाने से होती है, जो सूर्योदय से करीब दो घंटे पहले खाई जाती है। इस दौरान करवा माता, भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

करवाचौथ के दिन पूजा का मुहूर्त रविवार को शाम 5.46 बजे से शुरू हो कर 07.02 बजे तक रहेगा। वहीं, करवाचौथ पर इस बार सुबह 06.24 बजे से 06.46 बजे तक भद्रा का साया रहा। लेकिन पूजा के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा।

सुहागिनें चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। व्रत खोलने के बाद पति और बड़ाें का आशीर्वाद लें। यह बात जरूर ध्यान रखें कि पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे होने चाहिए। 

सुहाग जिस चुन्नी को ओढ़कर कथा सुने उसी चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को उसमें से देखे और फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें।

चंद्रपूजन के बाद आप बायना (खाना और कपड़े, दक्षिणा ) निलाकर अपने बड़ों को दें और फिर खाना खाएं। इस दिन लहसुन-प्याज वाला और तामसिक खाना न बनाएं।

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