कांग्रेस पार्टी को पहले को मलिन बस्ती के ऊपर जो अध्यादेश आया उसके ऊपर और कुछ बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं क्योंकि दस साल कांग्रेस पार्टी की सरकार उत्तराखंड में रही है और जब इनके पास मौका था कुछ कर गुजरने का कुछ करने का उस समय ये लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और मलिन बस्ती के ऊपर ये लोग लगातार राजनीति करते रहे और दो हज़ार सोलह में जब मलिन बस्ती वासी अपना अधिकार मांगने के लिए सचिवालय पर पूछ कर रहे थे तब कांग्रेस पार्टी थी जिसने बर्बरतापूर्वक उनके ऊपर लाठीचार्ज करने का काम किया तो ये लेने वाले रहते हैं देने वाले तो है नहीं तो छीनने वाले हैं इन्होंने उनका अधिकार छीना और भारतीय जनता पार्टी की यदि हम बात करते हैं तो दो हज़ार अट्ठारह में मलिन बस्ती वासियों को उनके जो स्थित हैं उनको सुरक्षित करने की दिशा में भारतीय जनता पार्टी की पहली बार अध्यादेश लेकर आई उसके बाद दो हज़ार इक्कीस में लेकर आई और अब दो हज़ार चौबिस में जब तेईस अक्टूबर को अध्यादेश की अवधि समाप्त हो रही थी तो उनके हित को पूरी तरह से संरक्षित करने की दिशा में उनको उजड़ने से बचाने की दिशा में भारतीय जनता पार्टी में एक सराहनीय कार्य करें
किया है जिसके लिए में अपने माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं
कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसोनी जी नें 3 साल कर अद्यादेश लाने पर कहा की अपनी उपलब्धि की तरह का प्रोजेक्ट रही है भारतीय जनता पार्टी आप को साढ़े सात आठ साल होने जा रहे हैं सत्ता पर काबिज हुए मलिन बस्तियों के लिए कोई परमानेंट सल्यूशन आप नहीं ढूंढ पाई कोई स्थाई व्यवस्था नहीं कर पाए हर तीन साल में एक अध्यादेश का झुनझुना आप को पकड़ा देते हैं दो हज़ार अट्ठारह में त्रिवेंद्र सरकार ने अध्यादेश आया वो भी एक इक्कीस में उसकी मियाद खत्म हुई फिर आप तीन साल का अध्यादेश ले आए क्योंकि तीन साल से ज्यादा का भुला नहीं सकते आप चौबिस आया है फिर क्यों कि प्रदेश में केदारनाथ उपचुनाव है निकाय चुनाव है पंचायत चुनाव है इसलिए आप अध्यादेश ला रहे हैं पर उनका क्या कसूर जिनके ऊपर आपने बुलडोजर चला दिया आपने अवैध कब्जे वाली कुछ बस्तियों के ऊपर बुलडोजर चला दिया आज आप इनको लॉलीपॉप दे रहे अध्यादेश का आप मालिकाना हक कर देंगे हमने दो एक समिति गठित करके राजकुमार जी के नेतृत्व में चिन्हित कर दी थी मलिन बस्तियां और करीब नब्बे से ज्यादा मलिन बस्तियों को हमने जो है मालिकाना हक दे दिया था तो कानून हमले आए थे उसका अनुसार अगर आप करते जो सरकारें अच्छा काम कर रही है उन सरकारों को आगे बढ़ाने का काम नहीं चुनी हुई सरकारों का होता है यह नहीं कि केवल बाबा ही और क्रेडिट लेने की होड़ में आप पुरानी सरकारों का किया धरा सारा ठंडे बस्ते में डाल दें और खुद कुछ ना कर पाए आपको पता है आपके मंत्री और आपके अधिकारी कितने अकर्मण्य हैं कितना निकम्मे हैं तो ऐसे में अगर
मजबूत इच्छाशक्ति और मंशा होती धामी सरकार की तो आज मलिन बस्तियों के लिए तीन साल का अध्यादेश नहीं कोई परमानेंट सलूशन आ रहा होता आप सोचिए उन लोगों के बारे में मलिन बस्ती के लोगों के बारे में जिन पर तलवार लटकती रहती है कार्रवाई की हर रात कितने भाई में कितने दर में गुजारते हैं वो कि हमारी मियाद खत्म होने वाली है और कब हमारे घरों पर बुलडोजर चल जाए हम अपने बच्चे लेकर अपनी मां पत्नियां लेकर और अपने अपने बुजुर्गों को लेकर कहां जाएंगे यह तलवार उनके ऊपर तीन साल में वो चैन की नींद नहीं सो पाते हैं यही मानवता नहीं है आप तीन सौ तीन साल में जो अध्यादेश ला रहे हैं आपने करना है तो आर या पार कर ये आपके पास अपना डिसिजन मेकिंग पावर होनी चाहिए,
रिपोर्ट : लक्ष्मण प्रकाश