उत्तराखंडएक्सक्लूसिव न्यूज़

देहरादून:-बाल विवाह मुक्त भारत,

जो भी कानून बनते हैं वो एक जगह के लिए भी बनते वो पूरे क्षेत्र के लिए बनते हैं और अभी हम लोगों ने जैसा हमने कहा पिथौरागढ़ का कुछ इलाका है आपका यमुना घाटी का कुछ इलाका है जहां पर आज की तारीख में सामाजिक मान्यता के रूप में वहां का समाज कहता कि यह तो हमारे हमारा यह निर्देशन है यह तो हमारी परंपरा है कि बच्चियों की शादी जल्दी कर लेनी है तो मासिक धर्म से पहले बच्चों की शादियां हो जानी चाहिए ऐसी मान्यताओं के तहत अब कर लेते हैं लेकिन कानून है कि इसके लिए हम प्रयास कर रहे अगर हम बोले यह शपथ ग्रहण भी उसका एक हिस्सा है और जो अगर शुरुआत यहां से जाति की शपथ ले रहे हैं कोई भी चीज का कोई भी बुराई का अगर लड़ाई शुरू हुई हेतु जागरूकता से या आप किसी को सीधे कानून का डंडा नहीं चला सकते हैं आप यहां कानून बन गए ये जो जो बाल विवाह निषेध कानून है इसमें आपका सख्त सजा का प्रावधान है उसमें सिर्फ जो बाप दे रहा था बेटी की शादी कर था नाबालिग बेटी का या जो अपने बेटे के लिए नाबालिक बच्ची को ले जा रहा था वही नहीं पकड़ा जाएगा इस कानून के तहत जो भी पर आती था जो मॉल आदि थे पंडीजी थे या कोई भी था
यहां तक ड्राइवर जो गाडी में उनको लाया था ट्रांसपोर्ट जिसने किया था उस तर्क को सजा का प्रावधान से
शादी में रुचि नहीं है वो नहीं होता हुआ है और कैसे सब को मालूम है कि बच्चा है सबको मालूम होता बच्ची को मारकर उसकी उसके चेहरे से दिख जाता है सबको मालूम होता है ऐसा नहीं है कि को नहीं मालूम है उसको यह कानून इसलिए इतना सख्त किया गया है ताकि यह बाल भी बार न बच्चियों का इस तरह से एक किस्म से यौन शोषण हो जाता है उस उम्र में जब वह यूं यौन हिंसा का मतलब नहीं समझता जब उसे नहीं पता है कि उसके साथ क्या हो रहा ,

रिपोर्टर: लक्ष्मण प्रकाश

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