
केंद्र ने मांगा था 1995 से 2006 बैच तक के अधिकारियों का विभिन्न पदों पर इम्पैनलमेंट के लिए क्लियरेंस
गृह विभाग ने पहली चिट्ठी पर नहीं दिया गौर फिर रिमाइंडर आया तो नवंबर में 2006 बैच को गायब कर भेज दी सूची
आईपीएस अधिकारियों की इच्छा के बिना केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आदेश के बाद अब नया विवाद अधिकारियों के केंद्र में इम्पैनलमेंट को लेकर छिड़ गया है। केंद्र ने राज्य से बैचवार (1995 से 2006 तक) आईपीएस अधिकारियों के विभिन्न रैंक पर इम्पैनलमेंट के लिए उनकी विजिलेंस क्लियरेंस मांगी थी, लेकिन केंद्र की पहली चिट्ठी पर गृह विभाग ने कोई गौर नहीं किया।
इसके बाद जब रिमाइंडर आया तो जवाब में 2006 बैच के अधिकारियों को गायब ही कर दिया। जबकि, इससे अगले साल 2007 के चारों अधिकारियों के नाम इम्पैनलमेंट के लिए भेज दिए। इस कार्यशैली ने अब पुलिस विभाग में भी तमाम तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है।दरअसल, पिछले दिनों केंद्र में आईपीएस अधिकारियों के विभिन्न रैंक पर इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसमें राज्य सरकार को 11 अक्तूबर को केंद्र की ओर से पत्र भेजा गया। इसमें वर्ष 1995 से 2006 बैच तक के अधिकारियों की विजिलेंस क्लियरेंस मांगी गई थी। मगर, इसका कई दिनों तक कोई जवाब ही नहीं दिया गया। इसके बाद 18 अक्तूबर 2024 को एक और पत्र रिमाइंडर के तौर पर भेजा गया। ऐसे में पुलिस मुख्यालय ने 14 नवंबर को 11 अधिकारियों के नाम भेज दिए।
इनमें दो आईपीएस अधिकारी 1997, एक 2004, चार 2005 और चार 2007 बैच के अधिकारियों के नाम गृह विभाग को भेजे गए। इसके बाद इन सभी की विजिलेंस क्लियरेंस बनाकर शासन ने गत 27 नवंबर को इन्हीं अधिकारियों के नाम केंद्र सरकार को भेज दिए, लेकिन इनमें 2006 बैच के सभी अधिकारियों के नाम नहीं थे। हालांकि, इस बैच की एक आईपीएस अधिकारी स्वीटी अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पहले ही थीं।
पिछले दिनों उनका आईजी रैंक पर इम्पैनलमेंट हो चुका है, लेकिन बाकी अधिकारियों का राज्य से नाम क्यों नहीं भेजा गया, इस पर सवाल अब भी खड़ा है। इसी बात को लेकर तमाम चर्चाएं भी हो रही हैं। कुछ लोग इसे विभागीय राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, सच्चाई क्या है, इस पर गृह विभाग में भी मंथन चल रहा है।
केंद्र से जो पत्र आया था, उसके हिसाब से ही नाम भेजे गए थे। इम्पैनलमेंट केंद्र का ही विषय होता है। इसमें केवल राज्य की ओर से क्लियरेंस भेजी जाती है। मगर, इन अधिकारियों का नाम किस वजह से नहीं है, इस बात को दिखवाया जा रहा है। – शैलेश बगौली, सचिव गृहI