
काफल हिल टीम के संस्थापक एवं प्रकृति प्रेमी तरुण महरा को पहाड़ी पर वनराजि जनजाति से संबंधित रौता उडियार के मकान का खंडहर एवं वहां से 400 मीटर दूर दो बड़ी गुफाएं मिलीं हैं।
पिथौरागढ़ जिले के थल में काफल हिल टीम के संस्थापक एवं प्रकृति प्रेमी तरुण महरा ने दो महीने पहले मुवानी क्षेत्र के गोबराड़ी में रहस्यमयी सुरंग खोजी थी। अब इसी सुरंग से करीब 500 मीटर दूर पहाड़ी पर वनराजि जनजाति से संबंधित रौता उडियार के मकान का खंडहर एवं वहां से 400 मीटर दूर दो बड़ी गुफाएं मिलीं हैं।
यह विशेष स्थान अतीत में यहां निवास करने वाले धन रौत नामक एक व्यक्ति के परिवार से जुड़ा बताया जा रहा है। यहां मौजूद बड़ी गुफाएं, प्राचीन घर एवं अन्य अवशेष इस क्षेत्र की समृद्धि की ओर संकेत करते हैं। गुफा की प्राचीन दीवारें, कंदराएं देखने से इसके 300 वर्ष से अधिक पुराने होने का अनुमान है। अतीत में इन्हीं गुफाओं, कंदराओं में धन रौत नामक वनराजि जनजाति का परिवार रहता था। फिर उसने मानव सभ्यता के रहन-सहन से घर बनाना सीखा और एक विशेष प्रकार का घर बनाकर रहने लगा, जिसकी आजीविका कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर थी। स्वयं घर बनाकर वनरौत के रहने की यह पहली खोजी गई ऐतिहासिक घटना है।
महरा ने बताया कि यहां उखलढुंगा नामक एक विशेष स्थान भी है, जिसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक बहुत बड़े चिकने पत्थर में दो बड़ी सी ओखली भी हैं। इस पत्थर पर समय के साथ घिसाव के निशान भी पाए गए हैं। आज भी गोबराड़ी के लोग इस बड़ी सी ओखली में भैया दूज के दिन च्यूड़ा (धान) कूटने जाते हैं। महरा के साथ गोबराड़ी गांव के मोहन सिंह कन्याल, रामी राम भी थे, जिन्होंने धन रौत के उड्यार और मकान के खंडहर की अपने पिता से सुनी कहानी महरा को बताई थी।
कुमाऊं कमिश्नर को दी जानकारी
काफल हिल के तरुण महरा ने बताया कि इस तरह की खोज का मकसद गांव में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना है। ऐसे स्थान को संरक्षित किया जाना चाहिए। यह इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। महरा ने धन रौत के उड्यार की जानकारी कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत को दी है।